What is MCLR Rate Loans effects in hindi समाचारों में आपने कभी न कभी MCLR शब्द का नाम सुना होगा. तब आपके दिमाग में आया होगा कि MCLR क्या है? MCLR का Full Form क्या है? MCLR के बढ़ने से लोन कैसे महंगा होता है?
इस तरह के कई सवाल आपके दिमाग में आए होंगे. एमसीएलआर एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है जिसे भारत के केन्द्रीय बैंक ‘भारतीय रिजर्व बैंक’ द्वारा जारी किया जाता है. इसके कम होने या बढ़ने से आपके जीवन पर गहरा असर पड़ता है. इसलिए एमसीएलआर क्या है? इस बारे में जानना बेहद जरुरी है.
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MCLR क्या है?
MCLR की शुरुआत साल 2016 में नोटबंदी के बाद से की गई थी. MCLR की मदद से ये तय किया जाता है कि कोई बैंक कम से कम कितने प्रतिशत ब्याज पर आपको लोन देगा.
कई लोगों की शिकायत होती थी कि बैंक मनमाने तरीके से लोन पर ब्याज वसूलती है. इसी शिकायत को दूर करने के लिए आरबीआई MCLR को लेकर आया.
इसके तहत हर बैंक को लोन देने के लिए एक रेट तय किया गया जिसे MCLR कहा गया. आरबीआई की ओर से जो MCLR तय किया जाता है वो न्यूनतम होता है. मतलब कोई बैंक लोन देने के लिए कम से कम जो ब्याज प्रतिशत चार्ज कर सकती है. इसका कुछ हिस्सा बढ़ाकर ही बैंक आपको लोन देती है और उस पर ब्याज देती है.
कुलमिलाकर एमसीएलआर एक RBI के द्वारा लाया गया एक मानक रेट है. जो न्यूनतम लोन की ब्याज दर को दर्शाता है. कोई भी बैंक उस रेट से थोड़ा बढ़ाकर आपको लोन दे सकता है.
एमसीएलआर एक हिसाब से काफी अच्छा है लेकिन इसमें एक खराबी ये है कि बैंक अधिकतम कितना ब्याज चार्ज करे इस पर कोई रेट नहीं है. जिस वजह से लोन लेने वाले व्यक्ति को काफी भारी ब्याज चुकाना पड़ता है.
MCLR का पूरा नाम क्या है?
MCLR का पूरा नाम Marginal Cost of Funds Based Lending Rate है. इसका मतलब ये है कि एक बैंक को लोन पर पैसा देने के लिए जो संसाधन लगते हैं, जो पैसा खर्च करना पड़ता है जो मेंटेनेंस करनी पड़ती है उसके लिए बैंक MCLR के हिसाब से चार्ज करती है.
असल मायने में देखा जाए तो बैंक इसे लोन लेने वाले कस्टमर से ब्याज के रूप में ही वसूलती है. आप से ब्याज इसीलिए लिया जाता है ताकि बैंक अपने रिस्क को, अपने खर्चों को कवर कर सके. जो उसने लोन देने के लिए आप पर किया है.
एमसीएलआर किसी भी बैंक के लिए एक महत्वपूर्ण घटक होता है क्योंकि बैंक की अधिकतर कमाई लोन के ब्याज से ही होती है. अगर आरबीआई ज्यादा एमसीएलआर रखेगी तो बैंक को ज्यादा फायडा होगा. मतलब बैंक ज्यादा ब्याज वसूल पाएगी.
इसमें दूसरा फैक्टर ये भी है कि भले ही आरबीआई कम से कम एमसीएलआर रेट तय करे लेकिन बैंक तो अपने हिसाब से ही ब्याज की दरें तय करती है. लेकिन ये इतना भी सच नहीं है क्योंकि इसमें भी इन्हें आरबीआई के रूल्स एंड रेगुलेशन के हिसाब से चलना पड़ता है.
आपने भी देखा होगा कि सरकारी बैंक और शैड्यूल बैंक में ब्याज की दर काफी कम होती है. वहीं प्राइवेट बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों की ब्याज दर ज्यादा होती हैं क्योंकि ये ज्यादा रिक्स पर लोन देते हैं इसलिए ज्यादा ब्याज वसूलते हैं.
भारत में MCLR Rate कितना है?
RBI की वेबसाइट के मुताबिक RBI की ओर से जो MCLR Rate तय किया गया है वो 6.70% – 7.30% है. मतलब कोई भी बैंक को कम से कम इस रेट पर तो लोन देना ही होगा.
लेकिन दूसरी ओर हर बैंक की अपनी अलग-अलग MCLR Rate है. जैसे: एसबीआई का 7.30 प्रतिशत है तो बंधन बैंक का 10.80 प्रतिशत है. इसी तरह हर बैंक का अलग-अलग MCLR Rate है.
किसी भी बैंक से लोन लेने से पहले आपको उस बैंक का MCLR सबसे पहले चेक करना चाहिए. क्योंकि जिस बैंक का जितना कम MCLR होगा आपको उतने ही कम ब्याज दर पर वहाँ से लोन मिलेगा.
मतलब जिस बैंक में जितना कम एमसीएलआर है वो बैंक उतना ही कम ब्याज आपसे लोन पर लेता है. ये आपके लिए काफी अच्छा रहता है. इससे आपके लिए लोन सस्ता हो जाता है.
MCLR बढ़ने से लोन कैसे महंगा होता है?
आपने हमेशा एक बात सुनी होगी कि आज से बैंक के लोन महंगे हो जाएंगे. बैंक लोन जो महंगे होते हैं उनकी एक ही मुख्य वजह होती है और वो होती है उस लोन की ब्याज दर.
यदि किसी बैंक ने अपनी ब्याज दर बढ़ा दी है मतलब उस बैंक का लोन महंगा हो गया है. अब आपको उस लोन के लिए ज्यादा ईएमआई चुकानी पड़ेगी और ज्यादा ही ब्याज देना पड़ेगा.
हर बैंक लोन में ब्याज का संबंध होता है MCLR से यानि Marginal Cost of Funds Based Lending Rate से. जैसे ही आरबीआई MCLR के रेट को बढ़ा देती है तो बैंक भी तुरंत अपने ब्याज की दर को बढ़ा देते हैं क्योंकि उनके पास ब्याज की दर को बढ़ाने का मौका होता है.
जैसे ही बैंक एमसीएलआर के कारण ब्याज की दर को बढ़ाएगी तो आपके लिए लोन महंगा हो जाएगा. मान लीजिये कि कोई बैंक पहले 8 प्रतिशत सालाना ब्याज दर पर लोन दे रही थी. अब आरबीआई ने 8 की जगह 9 प्रतिशत MCLR कर दिया तो बैंक भी अब 9 प्रतिशत ब्याज आपसे लेने लग जाएगी.
किसी भी बैंक के ब्याज बढ़ाने के कारण ही वो लोन महंगा हो जाएगा. क्योंकि अब आपको उसी लोन को चुकाने के लिए ज्यादा ब्याज देना पढ़ रहा है.
दूसरी ओर यदि आरबीआई एमसीएलआर को कम करती है तो बैंक भी अपने ब्याज दर को कम कर देती हैं जिस वजह से लोन पर आपको कम ब्याज चुकाना पड़ता है और लोन सस्ता हो जाता है. लेकिन ऐसा काफी कम ही देखने को मिलता है.
MCLR किसी भी बैंक की कमाई के लिए एक महात्वपूर्ण घटक है क्योंकि यही वो फैक्टर है जिसकी वजह से बैंक की कमाई तय होती है. वैसे भी बैंक लोन पर ब्याज खुद की कमाई निकालने के लिए ही लेती है. बैंक आपके पैसे को संभालने के लिए जो पैसा खुद से लगाती है उसे ही वो लोन के ब्याज से निकालती है.
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