GDPR Kya hai? इस बात से काफी लोग अंजान हैं क्योंकि काफी सारे लोगों ने तो इसका नाम भी नहीं सुना है. GDPR क्या है, इसकी जानकारी हर इंटरनेट यूजर को होनी चाहिए.
इंटरनेट की मदद से आप काफी सारे काम करते होंगे. जैसे पढ़ाई करते होंगे, शॉपिंग करते होंगे, बैंकिंग करते होंगे. ये सब करते हुए आपने एक चीज नोटिस की होगी कि जिन भी वेबसाइट पर आप कुछ खरीदारी करते हैं या कोई Subscription लेते हैं तो वो आपकी सारी डिटेल्स लेते हैं.
जैसे आपका फोन नंबर, आपका एड्रेस, आपके बैंक या कार्ड की डिटेल्स. ये वेबसाइट आपकी डिटेल्स को अपने पास सेव करके रखती है. आप तो एक बार शॉपिंग करके या Subscription लेके हट जाते हैं. हो सकता है आप जीवन में दूसरी बार उस साइट का उपयोग भी न करें या फिर सिर्फ एक दो बार ही उपयोग करें. लेकिन आपने जो अपना पर्सनल डाटा दिया है वो उनके पास हमेशा रहेगा.
आपने जो डाटा फ्री में उन वेबसाइट को दिया है वो उन कंपनियों के लिए काफी ज्यादा कीमती है. उस डाटा के लिए कई कंपनियों को पैसे चुकाने होते हैं. इस डाटा से संबंधित एक नियम है जिसे GDPR कहते हैं. GDPR के बारे में हो सकता है आपने कभी सुना नहीं हो क्योंकि आप एक नॉर्मल इंटरनेट यूजर हो, काफी सारी बाते आपको पता नहीं होती है.
आप अपना डाटा वेबसाइट पर देते हैं तो आपको GDPR क्या है? इसके क्या नियम हैं? आपके डाटा से संबंधित GDPR में क्या प्रावधान हैं. इन बातों के बारे में आपको जरूर जानना चाहिए.
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GDPR क्या है? (What is GDPR?)
GDPR का (GDPR Full Form) पूरा नाम General Data Protection Regulation है. इसे European Privacy Regulation के तहत साल 2018 में प्रभाव में लाया गया था. ये एक तरह का कानून है जो इंटरनेट यूजर्स के हितों की रक्षा करता है.
पूरी दुनिया में लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और अपना Data Share करते हैं. ये आपको अपना Personal Data Control करने की पावर देता है. मतलब किसी कंपनी ने यदि आपका डाटा सेव किया है तो आप का हक है कि आप ये जाने उसने कौन सा डाटा सेव किया है. यदि आप उसके रेगुलर यूजर नहीं है या आपने उनकी सर्विस का उपयोग बंद कर दिया है तो आप उनसे अपने डाटा को डिलीट करने के लिए भी कह सकते हैं.
इस तरह के काफी सारे नियम GDPR के तहत आते हैं जो इंटरनेट यूजर्स को अपना डाटा सेफ रखने और वेबसाइट ओनर को डाटा के इस्तेमाल पर नियंत्रण रखने की पावर देते हैं. ये पूरे विश्व में लागू है.
GDPR के तहत यूजर के अधिकार (GDPR Rules for Users)
GDPR आम इंटरनेट यूजर्स को लेकर तैयार किया गया है. इसलिए ये एक आम इंटरनेट यूजर्स को कुछ खास अधिकार (rights for internet users) प्रदान करता है.
1) किसी कंपनी ने आपका जो पर्सनल डाटा लिया है, तो आप कंपनी से ये पूछ सकते हैं कि वो आपके डाटा का किस तरह से और कहाँ इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके अलावा आपका कौन सा डाटा उनके पास सेव है आप इसका एक डॉक्यूमेंट Electronic Format में फ्री of Cost मँगवा सकते हैं.
2) GDPR आपको ये अधिकार भी देता है कि आप जब आप लंबे समय से किसी कंपनी की सेवाओं का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो कंपनी आपके डाटा को डिलीट करे. आप अपना डाटा डिलीट करने के लिए उस कंपनी से रिक्वेस्ट कर सकते हैं.
3) आपके पास ये अधिकार होता है कि आप अपने डाटा को एक प्रोवाइडर से दूसरे प्रोवाइडर तक ट्रांसफर कर सकते हैं.
4) कोई कंपनी यदि आपका डाटा इकट्ठा कर रही है या सेव कर रही है तो इसकी जानकारी कंपनी को आपको देना होगा. आपकी सहमति के बिना ऐसा नहीं होना चाहिए.
5) किसी जगह पर यदि आपका डाटा गलत है या आप उसमें कोई बदलाव करना चाहते हैं तो आपका अधिकार है कि आप उसे अपडेट करा सके.
6) कोई कंपनी यदि आपका डाटा बेच रही है तो आप उसे ऐसा करने से मना कर सकते हैं क्योंकि ये कानूनी तौर पर गलत है.
7) किसी कंपनी के सर्वर से यदि कोई डाटा ब्रीच होता है या चोरी हो जाता है या पूरी तरह खत्म हो जाता है तो कंपनी का दायित्व है कि वो इस विषय में अपने सभी कस्टमर या यूजर्स को नोटिफ़ाई करे.
GDPR का बिजनेस पर क्या असर होगा? (GDPR Effect on Business)
GDPR सिर्फ इंटरनेट यूजर्स को अधिकार देने के लिए नहीं बनाया गया है बल्कि इसमें बिजनेस के लिए भी कुछ प्रावधान है. बिजनेस से तात्पर्य उन लोगों से है जो आपके डाटा को इकट्ठा कर रहे हैं और सेव कर रहे हैं.
कोई भी कंपनी जो डाटा इकट्ठा करके रखती है वो उसे अपने सर्वर में रखती है. अब सर्वर से डाटा के डिलीट होने, डाटा चोरी होने जैसी समस्या हो सकती है. ऐसा होता भी रहता है जिस वजह से डाटा गलत हाथों में चला जाता है.
GDPR के अनुसार हर डाटा इकट्ठा करने वाली कंपनी को ये सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा इकट्ठा किए गए डाटा सेफ है. अगर डाटा का गलत उपयोग होता है तो इसके लिए उन्हें पेनल्टी तक भुगतनी पड़ सकती है.
GDPR कहाँ लागू होता है? (GDPR Effect in which region)
GDPR वैसे तो EU के द्वारा बनाया गया है लेकिन EU के बाहर भी जो कंपनियां इंटरनेट के माध्यम से लोगों का डाटा ले रही है उन पर भी ये कानून लागू होता है. विश्व की सभी बड़ी कंपनियों पर इनके नियम लागू होते हैं. अगर कोई लापरवाही बरती जाती है तो EU इस पर कार्यवाही कर सकता है.
GDPR का ब्लॉगर पर असर (GDPR Effect for Blogger)
GDPR का असर ब्लॉगर पर भी पड़ेगा. इसकी वजह से उनकी पहचान छुपी रहेगी. क्योंकि काफी सारी कंपनियां डोमेन किसने खरीदा है ये जानकारी पब्लिक कर देती थी. आपने देखा होगा कि पहले Whois नाम की वेबसाइट से ये पता लगाया जा सकता था कि वो वेबसाइट किसने खरीदी है, लेकिन अब ऐसा नहीं होता है. तो इसकी वजह से आपका डाटा सेफ और हिडन रहता है.
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आप इंटरनेट से संबंधित कोई बिजनेस करते हैं तो आपको भी GDPR का पालन जरूर करना चाहिए. GDPR के तहत इकट्ठा हुए डाटा को बेचना या उसका गलत उपयोग करना पूरी तरह गैर-कानूनी है.