What is DNS In Hindi इन्टरनेट का उपयोग करने के लिए हम सभी Computer और स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं. जब आप इन्टरनेट का उपयोग करते हैं तो आप किसी न किसी वेबसाइट पर पहुँच कर अपने पसंद की जानकारी को पढ़ते हैं. इसके लिए या तो आप उस जानकारी के बारे में लिखते हैं या फिर उस वेबसाइट का नाम लिखते हैं. लेकिन आपको किसी वेबसाइट तक पहुंचाने के लिए DNS का काफी महत्व होता है. अगर आप Internet की दुनिया में रुचि रखते हैं तो आपको जानना चाहिए कि (DNS Kya Hota Hai) डीएनएस क्या होता है? डीएनएस कैसे काम करता है? (How Does DNS Work?)
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DNS क्या होता है? What is DNS
DNS का पूरा नाम (Full Form) Domain Name System होता है. ये एक तरह का सिस्टम होता है जो डोमेन के नाम को परिभाषित करता है. इसमें डोमेन के जो नाम होते हैं उन्हें एक IP Address की तरह परिभाषित किया जाता है. ताकि Browser internet संसाधनों को लोड कर सके. जिस तरह हम फोन नंबरों को सेव करने के लिए फोन बुक का इस्तेमाल करते हैं ठीक वैसे ही Domain Name System का वेबसाइट के IP Address को याद रखने के लिए DNS का उपयोग होता है. डीएनएस का मुख्य काम डोमेन के नाम को आईपी एड्रेस में परिवर्तित करने का होता है.
डीएनएस का इतिहास DNS History
वर्तमान से 40 साल पहले जब इन्टरनेट का आकार काफी छोटा हुआ करता था तब बहुत कम वेबसाइट हुआ करती थी. जिन्हें आईपी एड्रेस के जरिये ही जाना जाता था. उस समय उनका आईपी एड्रेस याद रखना काफी आसान हुआ करता था. लेकिन जब Internet पर वेबसाइट की संख्या बढ़ने लगी तो इतने सारी आईपी एड्रेस याद रखने में काफी दिक्कत होने लगी. इस समस्या से निपटने के लिए साल 1980 में Paul Mockapetris नाम के कम्प्युटर साइंटिस्ट ने Domain Name System का आविष्कार किया. इसके तहत किसी वेबसाइट में आईपी एड्रेस की जगह पर उसे नाम दिया जाने लगा. जैसे www.website.com इस तरह लोगों को उस वेबसाइट तक पहुँचने के लिए सिर्फ उसका नाम ही याद रखना पड़ता था. इस नाम को आईपी एड्रेस में बदलने के लिए DNS का उपयोग किया गया जो किसी Domain के नाम को IP Address में बदल देता था ताकि हर वेबसाइट की एक अलग पहचान नंबर के जरिये बनी रहे और सिस्टम उसे आसानी से समझ सके.
डीएनएस कैसे काम करता है?
अगर आप किसी डिवाइस का उपयोग करते हैं तो आप ये जानते होंगे की हर इन्टरनेट का उपयोग करने वाली डिवाइस का एक आईपी एड्रेस होता है ठीक उसी तरह हर डोमेन का भी आईपी एड्रेस होता है. DNS की प्रक्रिया में एक डोमेन नेम को उसके अनुकूल आईपी एड्रेस में परिवर्तित किया जाता है.
डीएनएस के प्रकार
डीएनएस मुख्य तौर पर दो प्रकार के होते हैं. 1) Public DNS 2) Private DNS
1) पब्लिक डीएनएस / Public DNS
ये ऐसे डीएनएस होते हैं जिन्हें आमतौर पर इन्टरनेट सेवा प्रदाता द्वारा आपके Business को प्रदान किया जाता है. इन्हें आम जनता के लिए भी उपलब्ध कराया जाता है. यानि आपकी कोई वेबसाइट है तो दूसरे लोग आपके डीएनएस को जान सकते हैं. इसे किसी के द्वारा भी एक्सेस किया जा सकता है.
2) प्राइवेट डीएनएस / Private DNS
ये Private DNS से काफी अलग होता है और आम व्यक्तियों के लिए ये उपलब्ध नहीं होता है. इसमें ये एक कंपनी के फायरवाल के पीछे रहता है और केवल आंतरिक साइट का रिकॉर्ड रखता है. Private DNS अपने दायरों तक ही सीमित होता है. ये खासतौर पर उनके लिए होता है जो अपने नेटवर्क को या अपनी वेबसाइट को आम जनता तक नहीं पहुंचाना चाहते हैं और कुछ लोगों तक ही उसके इस्तेमाल को सीमित रखना चाहते हैं. जैसे सरकारी विभाग में जो लोग काम करते हैं वो किसी IP Address के जरिये उस वेबसाइट को एक्सेस करते हैं और फिर उसमें लॉगिन करके अपना काम करते हैं. इस तरह के डीएनएस को हर व्यक्ति एक्सेस नहीं कर सकता.
डीएनएस सर्वर का चुनाव कैसे करें? How to Choose DNS Server?
DNS Server को आप खुद भी अपने तौर पर क्रिएट कर सकते हैं और किसी से खरीद भी सकते हैं. जब आप कोई वेबसाइट बनाते हैं तो आपको Hosting खरीदनी होती है ताकि आप उस जगह पर अपनी वेबसाइट का डाटा रख पाये. कई संगठन अपना खुद का सर्वर बनाते हैं जो उनकी कंपनी में मौजूद होता है ताकि उनकी कंपनी का डाटा बाहर न जाए. ये काफी ज्यादा फायदेमंद होता है लेकिन तब जब आप खुद की वेबसाइट को सीमित लोगों को दिखाना चाहते हैं. आप अपनी जरूरत के हिसाब से DNS server का चुनाव कर सकते हैं. चाहे तो खुद ही सर्वर बना लें या फिर किसी से खरीद लें.
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DNS एक काफी Technical Term है जिसे काफी लोग समझ नहीं पाते. लेकिन अगर आप इन्टरनेट से जुड़े बिजनेस में हैं तो आपको डीएनएस की जानकारी होनी चाहिए. ये आपकी वेबसाइट को बेहतर बनाने में मदद करता है. उसे अच्छी स्पीड प्रदान करता है और सिक्योर बनाता है.