Single Use Plastic क्या है प्लास्टिक पर बने चिन्ह का क्या मतलब होता है?

भारत में सिंगल यूज प्लास्टिक को बेन करने की बात कही जा रही है वही सरकार का कहना है की इस पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया जाए बल्कि इसे प्रतिबंधित करने से अच्छा पहले लोगों को Single Use Plastic के बारे में जागरूक किया जाये. अब दुविधा ये है की हम में से कई भारतवासी इस बात को नहीं जानते की सिंगल यूज प्लास्टिक क्या होता है? प्लास्टिक कितने तरह का होता है? क्या प्लास्टिक को पहचानने के लिए कोई चिन्ह होता है? प्लास्टिक को किस तरह पहचानें? इन सभी बातों से कई लोग आज भी अंजान हैं.

सिंगल यूज प्लास्टिक क्या होता है?

प्लास्टिक के बारे में लोग ज्यादा कुछ नहीं जानते बस ये जानते हैं की प्लास्टिक जो है वो किसी सामान जैसे डिब्बे, खिलौने आदि बनाने में उपयोग किया जाता है. प्लास्टिक बस एक तरह का माटेरियल है जो हमारे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बहुत काम का है. ये कितने प्रकार का है, प्लास्टिक को हम कितनी बार यूज कर सकते हैं. इस बात से हमारा कोई लेना-देना नहीं रहता है. हम बस प्लास्टिक का सामान खरीदते हैं थोड़े दिन यूज करते हैं और फिर उसे फेक देते हैं. लेकिन आप प्लास्टिक का उपयोग कर रहे हैं तो आपको ये बात पता होना चाहिए की आप किसी प्लास्टिक को कितनी बार यूज कर सकते हैं.

Single Use Plastic एक तरह का प्लास्टिक ही है और प्लास्टिक के प्रकार में ये सबसे पहला प्लास्टिक है. सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब होता है वो प्लास्टिक जिसे हम केवल एक बार ही उपयोग कर सकते हैं. जैसे पॉलिथीन, स्ट्रॉ, फूड पेकेजिंग, पानी की बोतल, सोडे की बोतल आदि. कुल मिलकर आप ये मान लीजिये ये एक ऐसा प्लास्टिक है जिसका उपयोग हम सिर्फ एक बार ही करते हैं उसके बाद ये हमारे किसी काम का नहीं रहता है. इस तरह के प्लास्टिक का उपयोग हम बहुत ज्यादा करते हैं और इसे फेकने के बाद ये किसी काम का नहीं रहता. ऐसे में इस सिंगल यूज प्लास्टिक के कचरे की तादात तेजी से बढ़ रही है जो पर्यावरण के लिए एक चिंता का विषय है.

प्लास्टिक क्या है कैसे बनता है?

प्लास्टिक के बारे में जो हम जानते हैं वो ये है की ये पॉलीमर का बनता है. लेकिन प्लास्टिक जो ही वो रेजीन्स का बना होता है. रेजीन्स आपस में मिलकर एक चैन बनाते हैं जिसे हम पॉलीमर कहते हैं. ये पॉलिमर एक दूसरे से गूँथे हुए होते हैं. जिनके कारण प्लास्टिक बनता है. प्लास्टिक कितना कड़क होगा इस बात का निर्धारण इन पॉलीमर का गूँथा हुआ होना ही तय करता है. इन पॉलीमर की आंतरिक संरचना को बदलकर ही अलग-अलग तरह के प्लास्टिक का निर्माण किया जाता है. प्लास्टिक को नरम और कठोर बनाया जाता है.

प्लास्टिक को कैसे फिर से यूज कर सकते हैं?

प्लास्टिक बनाने वालों के अनुसार प्लास्टिक को फिर से यूज करने के दो तरीके बताए गए हैं जिसके लिए प्लास्टिक पर चिन्ह भी दिये जाते हैं. एक तो आप प्लास्टिक को रीयुज कर सकते हैं. मतलब आप एक ही प्लास्टिक का बार-बार उपयोग कर सकते हैं. इसमें आप प्लास्टिक की चीज को एक बार खरीदें और लंबे समय तक उसे उपयोग करें. इससे प्लास्टिक की मांग भी कम हो जाएगी और प्रदूषण भी काफी कम होगा. प्लास्टिक उपयोग करने का दूसरा उपाय है उसे रीसाइकल कर दिया जाए. मतलब आपके द्वारा उपयोग किए गए प्लास्टिक से कोई और सामान बना लिया जाए जिसका उपयोग फिर से हो सके. जैसे आप घर पर पुरानी साड़ी से घर के लिए पर्दे या फिर बच्चो के लिए ड्रेस बना लेते हैं ठीक उसी तरह.

प्लास्टिक पर बने चिन्हों का क्या मतलब होता है?

जब भी आप प्लास्टिक से बनी कोई चीज जैसे पानी को बॉटल, प्लास्टिक का डिब्बा आदि खरीदते हो तो उसमें नीचे की तरफ एक चिन्ह बना रहता है जो एक त्रिभुज के आकार का होता है और उसके अंदर एक अंक लिखा होता है. इस चिन्ह को रेजिन इडेंटिफिकेशन कोड यानि आईआरसी कहते हैं. ये प्लास्टिक से बनी हर चीज पर होता है. इसके जरिये आप ये जान सकते हैं की इसे रीसाइकल किया जा सकता है या नहीं और ये किस चीज का बना है.

कोड 1

प्लास्टिक की बॉटल पर आपने इसे सबसे ज्यादा देखा हो. ये सबसे आम गुणवत्ता वाला प्लास्टिक होता है. इसे कोल्ड ड्रिंक्स की बॉटल, प्लास्टिक कंटेनर आदि में इस्तेमाल किया जाता है. ये Polyethylene terephthalate का बना होता है. इसमें त्रिभुज के बीच में 1 नंबर लिखा होता है. आमतौर पर इन्हें सिंगल यूज प्लास्टिक कहा जाता है इसलिए हो सके तो इनका ज्यादा उपयोग न करें. अगर आप इसमें लंबे समय तक कोई तरल पदार्थ रख रहे हैं और उसे किसी गरम या बंद जगह पर रख रहे हैं तो इसमें से एक पदार्थ रिसने लगता है जो शरीर के लिए हानिकारक होता है.

कोड 2

त्रिभुज के बीच में नंबर 2 भी आपने आमतौर पर देखा होगा. ये HDPE होता है जिसका मतलब high density polyethylene होता है. दुनिया में इस प्लास्टिक को सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है. इससे आमतौर पर प्लास्टिक बैग, दूध की थैली आदि चीजें बनाई जाती है. इन्हें आसानी से रीसाइकल किया जा सकता है लेकिन घर पर नहीं. हालांकि अगर इसमें कुछ खाने की चीज रख रहें हैं तो उसे गरम जगह पर या सूरज की रोशनी में न रखें इसमें से नोनिलफेनोल रिसने लगता है जिससे शरीर में हार्मोनल समस्या हो सकती है.

कोड 3

त्रिभुज के बीच में 3 नंबर ये दर्शाता है की ये PVC से बना प्लास्टिक है. PVC से बनी कई सारी चीजें आपने देखी होंगी जैसे प्लास्टिक पाइप, प्लांबिंग का सामान आदि. इस तरह के प्लास्टिक का उपयोग खाना रखने के लिए नहीं करना चाहिए. इसका उपयोग आमतौर पर खिलौने, शैंपू की बोतल, माउथ वॉश की बोतल, डिटर्जेंट की बोतल बनाने में किया जाता है.

कोड 4

त्रिभुज के बीच 4 नंबर ये दर्शाता है की ये जो प्लास्टिक है वो LDPE यानि low density polyethylene से बना है. ये कम घनत्व वाले पॉलिथीन उत्पाद होते हैं. इस तरह का प्लास्टिक आमतौर पर पैकेजो, खाद और दवा उत्पादों के निर्माण के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह के प्लास्टिक को किसी चीज को रखने के लिए सबसे सेफ माना जाता है लेकिन इसे रीसाइकल नहीं किया जा सकता.

कोड 5

कोड 5 का मतलब होता है वो प्लास्टिक जो प्रो-पॉलीप्रोपाइलीन से बने होते हैं. आमतौर पर इस प्लास्टिक का उपयोग कंटेनर बनाने के लिए किया जाता है. इससे दही का कप, केचप की बोतल और दवाई के कंटेनर बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं. इस प्लास्टिक की मदद से ऐसे कंटेनर भी बनाए जाए हैं जिनकी मदद से माइक्रोवेव ओवन मेन भोजन को गरम किया जा सके. ये स्टोरेज के हिसाब से काफी ज्यादा सुरक्शित होते हैं और इन्हें फिर से रीसाइकल किया जा सकता है.

कोड 6

कोड 6 वाले प्लास्टिक को यूज एंड थ्रो प्लास्टिक कहा जाता है. इसकी मदद से डिसपोजेबल प्लास्टिक कप, प्लेट्स, अंडे के कार्टन, बाइक के हेलमेट आदि बनाने में किया जाता है. इसमें polystyrene का इस्तेमाल होता है. इन्हें काफी खतरनाक माना गया है क्योंकि इनके गरम होने पर ये जहरीले पदार्थों का रिसाव करते हैं.

कोड 7

इस श्रेणी वो वो प्लास्टिक आते हैं जो बाकी की 6 श्रेणियों में नहीं आते हैं. इन पर या तो 7 अंक लिखा होता है या फिर PC लिखा होता है.

हम सभी जानते हैं की प्लास्टिक का उपयोग करना हमारे लिए बेहद खतरनाक होता है. अगर हम इसका उपयोग कर रहे हैं तो हमें इसका उपयोग कम करने पर विचार करना चाहिए. प्लास्टिक की जगह हमें कोई और विकल्प चुनना चाहिए जिन्हें हम बार-बार उपयोग कर सकें.

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