हर इंसान का सपना होता है की उसके पास खुद की एक कार हो जिसमें वो अपनी फैमिली के साथ बैठकर दूर तक सफर करे. लेकिन जहां वाहन है वहाँ जोखिम भी है. अगर आप वाहन चला रहे हैं तो उसके Accident होने का खतरा भी बना ही रहता है. एक्सिडेंट होने की स्थिति में आप नुकसान में चले जाते हैं और कई बार आपको अपनी जेब से भरपाई करनी पड़ती है लेकिन अगर आपकी गाड़ी का Insurance है तो आप इस नुकसान की भरपाई से बच सकते हैं और Insurance company से Claim ले सकते हैं.
कार के एक्सिडेंट होने पर आपकी कार को, आपको या सामने वाले को क्षति पहुँच सकती है. एक्सिडेंट होने पर क्लैम के लिए आपको कई बातों का ध्यान रखना होता है. कई लोग होते हैं जो डरकर वहाँ से भाग जाते हैं और घायल होने वाले को वहीं तड़पते हुए छोड़ जाते हैं. अगर आपके वाहन का बीमा है तो आपको घायल व्यक्ति को वहाँ छोड़ कर नहीं भागना है बल्कि उसकी सहायता करनी है. आपको एक्सिडेंट के वक़्त बहुत ही सावधानी के साथ इस स्थिति को संभालना है. अगर आप इंश्योरेंस कंपनी में क्लैम करना चाहते हैं तो निम्न प्रोसैस को फॉलो करें.
एक्सिडेंट होने पर वहाँ से भागे नहीं. पहले घायल व्यक्ति को संभालें. उस जगह पर आपकी कार को सामने वाले के वाहन से कितना नुकसान हुआ है उसके सबूत लें जैसे आप अपने वाहन के फोटो ले सकते हैं, विडियो रिकॉर्डिंग कर सकते हैं.
आपके वाहन से कोई वाहन टकराया है तो उस वाहन के ड्राईवर के डीटेल जैसे उसका नाम, मोबाइल नंबर और पता लें. इसके अलावा गाड़ी का नंबर जरूर नोट करें.
अगर आपको उस जगह पर कोई गवाह यानि जिसने ये घटना देखी है उसका नाम, पता और मोबाइल नंबर लें. ये आपको बाद में काम आ सकता है.
एक्सिडेंट में यदि आपको चोट लगी है तो उसके बारे में भी जानकारी एकत्र करें, आपने आसपास के हॉस्पिटल से इलाज करवाएँ और डॉक्टर से पता करें की किस तरह की चोट है.
एक्सिडेंट होने पर कई लोग पुलिस एफ़आईआर करवाने से कतराते हैं लेकिन ये एक्सिडेंट और क्लैम का ही एक भाग है. मामला चाहे दूसरे के घायल होने का हो या खुद के घायल होने का. दोनों ही मामलों में नजदीकी थाने पर आपको FIR करवानी ही चाहिए. यही रिपोर्ट आपको क्लैम दिलवाने में मदद करती है.
एक्सिडेंट होने के बाद आपको तुरंत बीमा कंपनी को भी सूचित करना चाहिए. अगर आपकी गाड़ी में टूट-फुट हुई है तो उसे गैरेज या सर्विस सेंटर ले जाने से पहले आपको बीमा कंपनी को सूचित कर देना चाहिए. आमतौर पर एक्सिडेंट होने के 24 घंटे के अंदर ही आपको बीमा कंपनी में टोल फ्री नंबर पर फोन लगाकर इस बारे में जरूर सूचित करना चाहिए.
एक्सिडेंट होने पर गाड़ी और शरीर दोनों का नुकसान हो सकता है. जब आप बीमा कंपनी को एक्सिडेंट के बारे में सूचित करते हैं तो उनकी तरफ से निरीक्षण करने के लिए अधिकारी आते हैं. ये आकार आपकी कार के नुकसान का आंकलन करते हैं. जब आप इंश्योरेंस करवाते हैं तो आपको कंपनी नजदीकी सर्विस सेंटर के बारे में भी बताती है. बीमा कंपनी खुद ही आपकी कार को ले जाने की व्यवस्था करती है और क्लैम मंजूर होने पर उसे सुधारवाने का पैसा भी देती है. बीमा कंपनी से क्लैम लेने के लिए आपको जो भी पैसा खर्च करना पड़ रहा है उसका पक्का बिल अपने पास रखें और उन्हें क्लैम के वक़्त पेश करें. इससे आपके खर्च किए हुए पैसे भी क्लैम में जुड़ जाते हैं. इन सभी खर्चों के साथ बीमा कंपनी का प्रतिनिधि अपनी एक रिपोर्ट बीमा कंपनी को भेजता है.
जब आप एक्सिडेंट क्लैम करने के लिए भेजते हैं तो आपको कुछ जरूरी दस्तावेज़ शामिल करने होते हैं जिनके आधार पर आपका क्लैम मंजूर होता है.
– पुलिस के पास दर्ज की गई FIR की कॉपी
– आपकी insurance policy की कॉपी
– अगर शारीरिक नुकसान हुआ है तो हॉस्पिटल के सभी बिल
– आपके Vehicle का Registration card
– आपका Driving license
– इंश्योरेंस क्लैम फोरम (Insurance Claim Form)
– वाहन की रिपेयरिंग में खर्च का एस्टिमेंट या बिल
इन सभी चीजों के साथ बीमा कंपनी में क्लैम किया जाता है. इन सभी प्रोसैस को करने की जानकारी यदि आपको नहीं है तो आप एक अच्छा वकील जरूर करें. वकील सभी कानूनी प्रक्रिया को सही ढंग से करवाकर आपको क्लैम दिलाने में मदद करते हैं. इसलिए जहां तक संभव हो सके सबसे पहले अपने वकील की मदद जरूर लें.
बीमा कंपनी छोटे-मोटे क्लैम का निपटान करने में 10 से 15 दिन का समय लेती है लेकिन एक्सिडेंट के गंभीर होने पर और बड़ा क्लैम होने पर इसके निपटान में कुछ महीनों का भी समय लग सकता है. कंपनी आपको क्लैम के भुगतान के दो विकल्प दे सकती है.
Cashless mode होने पर आपके वाहन को बीमा कंपनी के साथ अनुबंधित गैरेज या सर्विस सेंटर में ले जाकर रिपेयर करवाती है. कंपनी बाद में उसका भुगतान सीधे गैरेज या सर्विस सेंटर को करती है. वहाँ पर जो सर्वेयर आपके नुकसान का आंकलन करता है वो आंकलन करके मोटा-मोटा हिसाब करके नुकसान बता देता है.
इसमें बीमा कंपनी की ओर से भेजा गया सर्वेयर आपकी गाड़ी का निरीक्षण करता है और Insurance company के पास एस्टिमेट भेज देता है. आपको गाड़ी की रिपेयरिंग खुद करवानी होती है शुरू में आपको अपनी जेब से पैसा लगाना होता है और रिपेयर होने के बाद आपको उन खर्चों के बिल के साथ क्लैम करना होता है. बीमा कंपनी उसका भुगतान कर देती है.
वाहन बीमा का क्लैम करते वक़्त लोग एक्सिडेंट से घबराकर कई तरह की गलतियाँ कर देते हैं जिनके कारण उनका क्लैम रिजेक्ट तक हो जाता है. अपने वाहन के एक्सिडेंट होने पर क्लैम करने के दौरान इन गलतियों से जरूर बचें.
सबसे पहले तो जब एक्सिडेंट होता है तो उस स्थान से घबराकर भागे नहीं और न ही अपने वाहन को वहाँ से दूर ले जाने की कोशिश करें. इससे आपका इंश्योरेंस क्लैम कमजोर पड़ सकता है क्योंकि आप गलती करके वहाँ से भाग गए थे.
एक्सिडेंट होने के बाद आपका वाहन टूट-फुट गया है तो खुद ही उसकी मरम्मत न करने लग जाए. या खुद किसी गैरज में ले जाकर उसे मरम्मत के लिए न दें. सबसे पहले अपनी बीमा कंपनी को सूचित करें और बीमा कंपनी के अधिकारी को नुकसान का आंकलन करने दें. इसके बाद बीमा कंपनी के अधिकारी के अनुसार अपनी गाड़ी की रिपेयरिंग करवाएँ.
कभी-कभी लोग लालच में आकर अपने एक्सिडेंट को बढ़ा-चढ़ा कर पेश करते हैं. इसके अलावा कुछ तथ्यों को छुपा जाते हैं. इससे आपका ही नुकसान हो सकता है. अगर आप सभी चीजे सही-सही नहीं बताते हैं तो आपका क्लैम रिजेक्ट हो सकता है.
जब आपकी गाड़ी के क्लैम कंपनी में चला जाता है तो और बीमा कंपनी की ओर से आंकलन कर लिया जाता है तो उसे एक बार ठीक से देखें. यदि कुछ बाकी रह गया है तो उसके बारे में जरूर बताएं और उसके बाद ही सेटलमेंट करें. इसके लिए हो सके तो किसी वकील की मदद जरूर लें.
वाहन का एक्सिडेंट होने पर आपको क्या करना है ये तो आप अच्छी तरह समझ ही चुके होंगे. एक्सिडेंट होने पर एक बात का ध्यान रखें अगर आपके पास सारे Document हैं और आप किसी गलती में नहीं है तो वहाँ से घबराकर कभी नहीं भागे. आपकी गाड़ी से जो भी व्यक्ति घायल हुआ है उसे हॉस्पिटल ले जाएँ और खर्चे के लिए क्लैम करें. इससे आपका कोई नुकसान नहीं होगा. लेकिन यदि आप वहाँ से भागते हैं तो आप पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी.
Health Insurance क्या है कैसे लें और इसके फायदे क्या है?
दुकानदार बीमा पॉलिसी, जोखिम से बचने के लिए कराएं Shop insurance
Vehicle Insurance Detail : वाहन बीमा की जानकारी, वाहन बीमा करवाना क्यों जरूरी है?
वाहन रजिस्ट्रेशन कैसे ट्रांसफर करवाएँ, बाइक RC दूसरे के नाम करने का तरीका?
नंबर से निकलेगी गाड़ी के साथ मालिक पूरी जानकारी