जब भी आप कभी किसी मॉल में गए होंगे तो मॉल में एंट्री लेने से पहले आपको दरवाजे से गुजारा जाता है, जिसमें यदि आपके पास कोई धातु की चीज होती है तो उसमें से आवाज आती है. इसे मेटल डिटेक्टर (Metal Detector) कहा जाता है. लंबे समय से मेटल डिटेक्टर का उपयोग हम कई जगहों पर देखते आए हैं. लेकिन अभी भी काफी लोग मेटल डिटेक्टर कैसे काम करता है इस बारे में नहीं समझ पाये हैं.
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मेटल डिटेक्टर क्या होता है? (Metal Detail in Hindi)
मेटल डिटेक्टर एक इलेक्ट्रोनिक उपकरण होता है जो अपने आसपास छिपी किसी धातु की खोज करने का पता लगाता है. इसका सबसे ज्यादा प्रयोग मॉल, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और कंपनियों में सुरक्षा के लिए किया जाता है. इसके अलावा इसका उपयोग धातु की खोज करने के लिए भी किया जाता है. इसे हम एक तरह का सेंसर कह सकते हैं जो ये पता लगता है कि धातु कहाँ है. ये डिवाइस अपने कार्य के अनुसार अलग-अलग हो सकती है. जैसे कहीं पर बड़े मेटल डिटेक्टर की जरूरत होती है तो कहीं पर छोटे मेटल डिटेक्टर की होती है. इसी तरह इनके आकार और जरूरत के आधार पर मेटल डिटेक्टर की कीमत भी तय होती है.
मेटल डिटेक्टर का इतिहास (History of Metal Detector)
Metal Detector का इतिहास काफी पुराना है और इसकी शुरुआत साल 1874 में होती है.
– साल 1874 में पेरिस के आविष्कारक गुस्ताव ट्रौवे ने युद्ध में घायल लोगों के शरीर से गोलियां निकालने के लिए एक हाथ से पकड़ने वाला उपकरण बनाया जिससे ये पता लगाया जा सके कि शरीर में धातु का टुकड़ा कहाँ है. इसे आधुनिक मेटल डिटेक्टर का आधार माना जाता है.
– 1881 में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने ट्रौवे से प्रेरित होकर जेम्स गारफील्ड (Metal detector inventor) जो उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति थे, को लगी गोली का पता लगाने के लिए ट्रौवे जैसा ही एक उपकरण बनाया और यह काफी हद तक सफल भी रहा.
मेटल डिटेक्टर की खोज का श्रेय जेरहार्ड फिशर को जाता है. साल 1937 में उनके द्वारा मेटल डिटेक्टर को तैयार किया गया था जो आज तक प्रसिद्ध है. मतलब इसी के सिद्धांतों पर आज भी मेटल डिटेक्टर कार्य कर रहा है.
मेटल डिटेक्टर कैसे काम करता है? (How Metal Detector Works?)
जब भी आप किसी धातु की चीज को मेटल डिटेक्टर के पास ले जाते हैं तो मेटल डिटेक्टर आवाज करने लगता है. हम सब बस यही जानते हैं. लेकिन असल में मेटल डिटेक्टर फिजिक्स के सिद्धान्त पर कार्य करता है. मेटल डिटेक्टर में विद्युत चुंबकीय सिद्धान्त (Electro-Magnetic Principle) का उपयोग किया जाता है. इसके अनुसार
– जब भी किसी विद्युत क्षेत्र में बदलाव होता है तो आपको एक परिवर्तित चुंबकीय क्षेत्र प्राप्त होता है.
– जब भी किसी चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव होता है तो आपको एक परिवर्तित विद्युत क्षेत्र प्राप्त होता है.
ये सिद्धान्त मैक्सवेल ने दिये थे और उनका कहना था कि विद्युत और चुंबक एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.
मेटल डिटेक्टर के काम करने का तरीका (Working Principle of Metal Detector)
मेटल डिटेक्टर विद्युत चुंबकीय सिद्धान्त पर कार्य करता है.
– मेटल डिटेक्टर में तार लपेटकर एक कुंडली बनाई जाती है, जो डिटेक्टर के ऊपरी सिरे से नीचे की ओर गोलाकार जाती है. इसे ट्रांसमीटर कॉईल कहा जाता है.
– इस कॉईल में विद्युत धारा को प्रवाहित किया जाता है. जिसके कारण इसमें चुंबकीय क्षेत्र निर्मित हो जाता है.
– जब इस चुंबकीय क्षेत्र में किसी धातु को गुजारा जाता है या फिर ये चुंबकीय क्षेत्र किसी धातु के पास आता है तो गतिमान चुंबकीय क्षेत्र के अंदर के परमाणु प्रभावित होते हैं.
– धातु के चारो ओर बने चुंबकीय क्षेत्र को डिटेक्टर सेंस करता है और एक रिसीवर कॉईल को संकेत भेजता है. इस संकेत के जरिये स्पीकर पर आवाज आती है.
मेटल डिटेक्टर के प्रकार (Types of Metal Detector)
अपने आकार के आधार पर मेटल डिटेक्टर दो प्रकार के होते हैं.
1) डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (Door Frame Metal Detector)
ये दरवाजे के आकार का होता है और बहुत ही जल्दी किसी धातु का पता लगा लेता है. इसका इस्तेमाल सुरक्षा के लिए कई सारी जगह पर होता है. इसे आपने सामान्य तौर पर मॉल और एयरपोर्ट पर देखा होगा. इसके अंदर से यदि किसी व्यक्ति या किसी सामान को गुजारा जाता है और उसमे कोई मेटल होती है तो इसमें आवाज आने लगती है.
2) हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर (Hand Held Metal Detector)
ये एक छोटा सा मेटल डिटेक्टर होता है जिसे हाथ में पकड़ा जा सकता है. इसका उपयोग सामान की तलाशी लेने, व्यक्ति की तलाशी लेने के लिए किया जाता है. सिनेमाघर और एयरपोर्ट पर सुरक्षा अधिकारियों के पास ये होता है जिससे वे मेटल को डिटेक्ट करते हैं.
हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर का सबसे ज्यादा इस्तेमाल सेना में होता है. ये सैनिकों को बिना किसी संकट में डाले लैंड माइंस और बम खोजने में मदद करता है. अधिकतर सेना अधिकारी और पुलिस अधिकारी इसका प्रयोग करते हैं.
मेटल डिटेक्टर से किन धातुओं का पता लगाया जा सकता है?
मेटल डिटेक्टर कैसे काम करता है आप जान गए होंगे लेकिन आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा कि मेटल डिटेक्टर किन-किन धातुओं को सेंस कर सकता है. तो आमतौर पर ये सबसे ज्यादा प्रभावी लोहे और निकल पर होता है. अधिकतर गन, बंदूक और हथियार लोहे और निकल के बने होते हैं. इसके अलावा ये कोबाल्ट, तांबा, पीतल, एल्यूमिनियम का भी पता लगा सकता है.
मेटल डिटेक्टर की कीमत (Price of Metal Detector)
मेटल डिटेक्टर की कीमत 2000 रुपये से शुरू होती है. यदि आप Hand held metal detector खरीदना चाहते हैं तो आप 2000 रुपये या उससे ज्यादा कीमत पर खरीद सकते हैं. लेकिन यदि आप Door Frame Metal Detector खरीदना चाहते हैं तो उसकी कीमत कम से कम 45 हजार रुपये है.
किसी भी संस्थान में या ऐसी जगह जहां से कोई व्यक्ति देश छोड़कर या शहर छोड़कर जा सके ऐसी जगह पर सुरक्षा की दृष्टि से निगरानी करना जरूरी होता है. कोई व्यक्ति हथियार लेकर तो उस संस्थान में नहीं आ रहा है. या फिर कोई व्यक्ति एयरपोर्ट पर हथियार लेकर तो नहीं जा रहा है. ये जानना बेहद जरूरी है क्योंकि इससे बड़ी से बड़ी दुर्घटना को होने से रोका जा सकता है. यही कारण है कि कई सारी कंपनियाँ इसे इन्स्टाल करवाती है. एयरपोर्ट पर भी काफी बारीकी से जांच की जाती है. यदि कोई व्यक्ति संदिग्ध पाया जाता है तो उसे पुलिस के हवाले कर दिया जाता है और उससे पूछताछ की जाती है.