Fevicol Success Story : Fevicol का मालिक कौन है, कैसे शुरू हुई Pidilite कंपनी?

भारत में कई सारी कंपनियों को आप उनके ब्रांड की वजह से जानते हैं लेकिन क्या कोई ऐसी कंपनी है जिसे आप उसके विज्ञापन के कारण जानते हैं. ऐसी बहुत ही कम कंपनियाँ हैं. अपने विज्ञापन के कारण फेमस हुई एक खास कंपनी है ‘फेविकोल’ (Fevicol Success Story) जिसका उपयोग आज भारत के हर घर में होता है.

फेविकोल सिर्फ एक प्रॉडक्ट है इसकी कंपनी का नाम पिडीलाइट (Pidilite) है. ये भारत की एक फेमस कंपनी है. भारत में फेविकोल कैसे शुरू हुआ. Pidilite कंपनी कैसे सफल हुई? Fevicol के मालिक कौन हैं? इन सभी बातों का जवाब आपको इस लेख में मिलेगा.

Fevicol के मालिक कौन है? | Owner of Fevicol Company?

Fevicol का इस्तेमाल करने वालों के दिमाग में ये सवाल जरूर आता होगा कि Fevicol का मालिक कौन है. Fevicol को बनाने वाले और Pidilite कंपनी को शुरू करने वाले शख्स गुजरात के बिजनेसमेन बलवंत पारेख हैं. जिनहोने काफी छोटे स्तर से अपनी कंपनी को शुरू करके आज करोड़ों रुपये की कंपनी बना दिया है.

बलवंत पारेख की जीवनी | Fevicol Man Balvant Parekh Biography

बलवंत पारेख का जन्म साल 1925 में गुजरात के भावनगर के महुआ कस्बे में हुआ था. ये एक जैन फ़ैमिली से आते हैं. इनहोने अपनी स्कूलिंग ‘महुआ’ में ही पूरी की. स्कूलिंग पूरी करने के बाद इनके पिता चाहते थे कि ये वकील बने इसलिए इनहोने मुंबई के Government Law College में एडमिशन ले लिया.

जब ये पढ़ाई कर रहे थे तब गांधीजी का आंदोलन भारत में चल रहा था. जिससे ये काफी प्रभावित हुए. इनहोने गांधीजी के आंदोलन में अपना योगदान दिया. लेकिन घरवालों ने पढ़ाई पूरी करने का प्रेशर डाला तो ये पढ़ाई पूरी करने में लग गए.

पढ़ाई पूरी करने के बाद इनहोने वकालत नहीं की. ये गांधीजी के आदर्शों पर चलना चाहते थे. इनका कहना था कि वकील बनकर उन्हें बेहद झूठ बोलना पड़ेगा. इसलिए वे बिजनेसमेन बनना चाहते हैं. ताकि वे देश में रोजगार ला सके. शुरुआत में इनके पास वित्तीय संकट था जिसके चलते इन्हें नौकरी करनी पड़ी.

बलवंत पारेख का करियर | Balvant Parekh Career

बलवंत पारेख जब वकालत की पढ़ाई कर रहे थे तब उनकी शादी कांताबेन से हो गई थी. जिसके चलते उन पर पारिवारिक जिम्मेदारियाँ आ गई थी. घर चलाने के लिए उन्होने कुछ समय प्रिंटिंग प्रेस में काम किया. इसके बाद वे एक लकड़ी के कारखाने में चपरासी की नौकरी पर लग गए. नौकरी करते-करते उन्हें जर्मनी जाने का मौका भी मिला. जहां बिजनेस के बारे में काफी सारी बाते उन्होने सीखी.

बलवंत पारेख ने बिजनेस कैसे शुरू किया? | How Fevicol Started in India?

बलवंत पारेख एकदम से फेविकोल के बिजनेस में नहीं आए थे. और न ही फेविकोल उनका पहला बिजनेस था. जब देश आजाद हुआ तो उस समय भारत काफी सारी चीजों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर था. इसी के चलते बलवंत पारेख में बिजनेस में अपना हाथ आजमाने के बारे में सोचा.

उनके सबसे पहले बिजनेस में वे पश्चिमी देशों से साइकिल, एक्सट्रा नट, पेपर डाइ जैसी चीजे मंगवाकर भारत में बेचते थे. इन सभी में उन्हें काफी मुनाफा मिलता था. इस बिजनेस के बाद उन्होने अपने पुराने दिनों पर गौर किया जब वे लकड़ी के कारखाने में चपरासी का काम किया करते थे.

उस समय उन्होने देखा था कि कारीगर किस तरह लकड़ी को जोड़ने के लिए चर्बी वाली गोंद का इस्तेमाल किया करते थे. जो काफी बदबूदार हुआ करती थी. इसके द्वारा लकड़ी को जोड़ने में काफी समय भी लगता था. इसी समस्या को दूर करने के लिए बलवंत पारेख ने एक ऐसा रसायन बनाने के बारे में सोची जिससे लकड़ी आसानी से चिपक भी जाए और बदबू भी न आए. काफी कोशिश के बाद बलवंत पारेख को इस तरह की गोंद बनाने का तरीका मिल ही गया. जिसके बाद साल 1959 में अपने भाई सुनील पारेख के साथ साल 1959 में पिडिलाइट कंपनी की स्थापना की.

कैसे बना फेविकोल नाम? | Fevicol History in Hindi

Pidilite कंपनी को शुरू करने के बाद बलवंत पारेख ने अपने खुशबूदार गोंद को ‘फेविकोल’ नाम दिया. फेविकोल जैसे ही मार्केट में आया वैसे ही छा गया क्योंकि इसने लोगों कि सबसे बड़ी समस्या को दूर करने का काम किया था. फेविकोल नाम के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है.

जब बलवंत पारेख जर्मनी में रहकर काम कर रहे थे तब उन्होने देखा कि वहाँ एक गोंद की कंपनी हुआ करती थी. जिसका नाम मोवीकोल हुआ करता था. जर्मनी में कोल का मतलब दो चीजों को जोड़ना होता है. इसी से प्रेरित होकर बलवंत जी ने अपने प्रॉडक्ट का नाम फेविकोल रखा था. इस तरह फेविकोल शुरू हुआ और पूरी दुनिया में छाया.

निवेशकों को किया मालामाल | Pidilite share price

Pidilite एक ऐसी कंपनी है जिसने बेहतरीन प्रॉडक्ट तो बनाए ही हैं साथ ही अपने यूनिक विज्ञापन के जरिये लोगों के दिल में जगह भी बनाई है. Pidilite Fevicol के लिए ऐसा कमाल का विज्ञापन लेकर आया जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. इसके विज्ञापन जब भी आए एक नया कान्सैप्ट लेकर आए. हाल ही में फेविकोल का ‘शर्माइन का सोफा’ वाला एड काफी ज्यादा पॉपुलर हुआ था. इस एड में बताया गया कि किस तरह फेविकोल से बना सोफा सालों-साल चलता रहा. सोफ़े ने कई घर बदले लेकिन सोफा नहीं टूटा.

फेविकोल ने जहां लोगों के दिलों को अपने विज्ञापन के जरिये जीता. वहीं दूसरी ओर अपने निवेशकों को भी मालामाल किया. Pidilite पहली बार 1 जनवरी 1999 को अपने शेयर लेकर शेयर मार्केट में उतरा था. उस समय Pidilite के एक शेयर की कीमत 6 रुपये 26 पैसे थी. ये कीमत आज के समय में एक चाय की कीमत से भी कम है. Pidilite के उस एक शेयर की कीमत आज 2396.65 रुपये. अगर कोई व्यक्ति उस समय 626 रुपये के शेयर खरीदता तो वो आज के समय में 2,39,665 रुपये का मालिक होता.

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फेविकोल जो कभी बहुत छोटे लेवल से शुरू हुई थी. आज वही कंपनी करोड़ों की कंपनी बन गई है. Pidilite कंपनी के कई brands हैं जो देशभर और दुनिया में अपनी पहचान बना चुके हैं. इसके कुछ खास brands की बात करें तो वो Fevicol, Fevicol MR, Dr. Fixit, Fevikwik, M-Seal, Fevistik, Fevicryl हैं. ये सभी प्रोडक्टस मार्केट में खूब बिकते हैं मार्केट में फेविकोल का एकतरफा राज है.

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