हम सभी को जीवन में कभी न कभी दवाइयों की जरूरत तो पड़ती ही है. कई बार आपने देखा होगा कि दवाइयों पर CIPLA लिखा हुआ होता है. कई लोगों को लगता है कि ये दवाई का नाम है तो कई लोग इसे कंपनी का नाम समझते हैं. असल में ये दवाई की कंपनी का नाम है. सिप्ला भारत की एक बहुत बड़ी और बहुत पुरानी फार्मा कंपनी है (Cipla Success Story) जो कई सालों से भारत में दवाई का व्यापार करती आ रही है. सिप्ला कंपनी का मालिक कौन है? सिप्ला कंपनी का क्या इतिहास है? सिप्ला किस तरह की दवाइयाँ बनाती है? ये सभी सवाल सिप्ला कंपनी को लेकर अक्सर पूछे जाते हैं.
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सिप्ला का मालिक कौन है? (Cipla Company Owner)
सिप्ला की मालिक डॉक्टर ख्वाजा अब्दुल हमीद है. जिनहोने साल 1935 में सिप्ला कंपनी की शुरुवात की थी. सिप्ला का पूरा नाम केमिकल इंडस्ट्रियल एंड फार्मा लेबोरेट्री है. ये कंपनी आजादी के पहले शुरू हुई थी. तब से लेकर आज तक भारत में इसका व्यापार तेजी से चल रहा है और तरक्की कर रहा है.
सिप्ला का इतिहास (History of CIPLA Company)
सिप्ला को शुरू करने वाले डॉक्टर ख्वाजा अब्दुल हमीद का जन्म 31 अक्टूबर 1898 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था. अब्दुल हमीद ने अपनी स्कूलिंग पूरी करने के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किया. इसके बाद PhD करने के लिए वे जर्मनी की बर्लिन यूनिवर्सिटी चले गए. यहाँ उन्होने केमिस्ट्री की पढ़ाई की. उस समय जर्मनी दुनिया भर का केमिकल लीडर हुआ करता था.
हमीद उस समय भारत में थे जब भारत अंग्रेजों की गुलामी के तले दबा था और भारत में आजादी की लहर चल रही थी. उस समय हमीद महात्मा गांधी से काफी ज्यादा प्रेरित थे. अब्दुल हमीद के अंदर राष्ट्रवाद की भावना थी और वे अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे. इसी भावना से साल 1935 में अब्दुल हमीद ने Chemical Industrial and Pharmaceutical Laboratories (CIPLA full form) को 2 लाख रुपये के निवेश के साथ शुरू किया. सिप्ला ने प्रॉडक्शन को 1937 से शुरू किया था. आज ये भारत की सबसे पुरानी फार्मा कंपनी है.
सिप्ला कैसे सफल हुई? (How Cipla famous in world?)
CIPLA की शुरुवात होने के बाद सिप्ला ने भारत में सस्ती दवाई बनाने और उसके वितरण पर ध्यान दिया. इसी दौरान दूसरा विश्व युद्द शुरू हो गया. जिसमें दवाइयों की डिमांड बढ़ गई. ऐसे में सिप्ला कंपनी ने अच्छी और सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाकर बड़ी-बड़ी एमएनसी को टक्कर दे दी. इसी दौरान कंपनी ने दो महत्वपूर्ण खोज की. पहली खोज का उपयोग हृदय सांस उत्तेजक के रूप में किया जाता है और दूसरे का उपयोग रक्तचाप में किया जाता है.
इसके अलावा अब्दुल हमीद वो व्यक्ति हैं जिनहोने भारत में CSIR जैसे संस्थान की स्थापना की संकल्पना ली. आज के समय में CSIR राष्ट्रीय रसायनिक प्रयोगशाला है. इसकी कई सारी ब्रांच पूरे भारत में है. सिप्ला ने भारत में कई कीर्तिमान हासिल किए हैं. उनके योगदान के लिए उन्हें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी क्के प्रोफेसर और एक्सिक्यूटिव काउंसिल बनाया गया. वहीं बॉम्बे यूनिवर्सिटी का सीनेट मेम्बर बनाया गया. वे बॉम्बे लेजिस्लेटिव काउंसिल के मेम्बर भी रह चुके हैं. उन्हें ‘शेरिफ़ ऑफ बॉम्बे’ के सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.
सिप्ला के संस्थापक अब्दुल हमीद ने इस कंपनी को खड़ा करने के लिए काफी मेहनत की. इनके बाद इस कंपनी को इनके बड़े बेटे ने संभाला. लंबे समय तक अस्वस्थ रहने के कारण साल 1972 में अब्दुल हमीद की मृत्यु हो गई.
युसुफ हमीद ने बढ़ाया आगे कारोबार (Yusuf Hamid profile and story)
अब्दुल हमीद के गुजर जाने के बाद युसुफ हमीद ने कंपनी का कारोबार संभाला. युसुफ हमीद का जन्म पोलेंड में हुआ था. उनकी परवरिश बॉम्बे में हुई थी. यही उन्होने पढ़ाई की. उन्होने भारत में ग्रेजुएशन करने के बाद England की Cambridge University से Chemistry में PhD की. पढ़ाई के पूरे होते ही वे अपने पिता के व्यापार में आ गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शुरुआती दौर में युसुफ अपने पिता की कंपनी में 1500 रुपये की सैलरी पर काम किया करते थे. ये सैलरी भी उन्हें एक साल के बाद मिली थी.
एड्स और टीवी की दवा बनाई (AIDS and TB Generic Medicine Company)
सिप्ला को ऐसे ही फ़ार्मा जायंट कंपनी नहीं कहा जाता. सिप्ला ने कुछ कारनामे ऐसे भी किए हैं जिनका लोहा पूरी दुनिया मानती है. युसुफ हमीद जब कंपनी से जुड़े तो उन्होने अपना सारा समय टीबी और एड्स की दवाई बनाने पर लगाया. उस समय पूरी दुनिया इन बीमारियों से जूझ रही थी. और इसके लिए कोई सस्ती दवाई उपलब्ध नहीं थी.
युसुफ हमीद ने पहले एड्स की जेनेरिक दवाई बनाकर दुनिया को चौंका दिया. उन्होने एड्स की जेनेरिक दवाई बनाई और उसे दुनियाभर के लोगों के लिए बहुत ही कम दामों में उपलब्ध करवाया. इसके बाद वे टीबी की जेनेरिक दवा दुनिया में लेकर आए. आज टीबी का इलाज फ्री में संभव इनकी खोज के कारण ही हो पाया है.
युसुफ हमीद ने भारतीय पेटेंट कानून में बदलाव करने की शुरुवात की. इसके अंतर्गत उन्होने साल 1961 में इंडियन ड्रग मैनुफैक्चर एसोसिएशन का गठन किया. 1972 में इनका ये प्रयास सफल हुआ और भारतीय फार्मा उद्योग के कानूनी रूप से ये स्वतंत्रता मिल गई की वह देश में वो दवाएं बनाएगी जिनकी देश को जरूरत है.
युसुफ हमीद ने Cipla के साथ जुड़कर ऐसे काम किए हैं जिनकी वजह से सिप्ला को Humanitarion Pharmaceutical Company कहा जाता है. Cipla सिर्फ पैसा बनाने पर फोकस नहीं करती बल्कि मानवता पर भी इसका पूरा ध्यान होता है. Cipla आज लगभग 170 देशों में अपनी दवाई किफ़ायती दामों में बेच रही है।
युसुफ हमीद को सम्मान (Award for Yusuf Hamid?)
– युसुफ हमीद को उनके सराहनीय प्रयासों के लिए भारत के तीसरे नागरिक सम्मान पद्म भूषण से साल 2005 में नवाजा गया.
– साल 2012 में CNN-IBN की ओर से Business Category में उन्हें Indian of the year अवार्ड दिया गया.
– साल 2013 में NDTV द्वारा प्रायोजित 25 Greatest Global Living Legends में युसुफ हमीद को भी शामिल किया गया.
– एड्स की दवा को काफी सस्ते दामों में दुनियाभर में पहुंचाने के लिए Harvard Business School द्वारा उनका एक इंटरव्यू भी लिया गया.
– हमीद के जीवन पर आधारित एक Documentary भी है जिसका नाम Fire in the Blood है.
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CIPLA भारत की काफी पुरानी कंपनी है. आज तक आप भी कई बार Cipla की सायरप, टेबलेट और कैप्सूल का सेवन कर चुके होंगे. सिप्ला ने दुनियाभर में भारत का नाम रोशन किया है.