What is pegasus in hindi पेगासस ये नाम आपने पिछले कुछ महीनों में कई बार इन्टरनेट और खबरों में पढ़ा और सुना होगा. कई लोगों ने इसे सिर्फ एक इन्टरनेट वायरस समझकर हल्के में लेकर छोड़ दिया होगा तो कई लोगों ने इसकी डिटेल्स का पता लगाया होगा. अगर आप स्मार्टफोन और इन्टरनेट का इस्तेमाल करते हैं तो आपको ये जरूर जानना चाहिए कि Pegasus क्या है? पेगासस कैसे काम करता है? पेगासस आपको कैसे नुकसान पहुंचा सकता है? पेगासस के बारे में इस तरह के कई और सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिलेंगे.
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पेगासस क्या है? | Pegasus in Hindi
पेगासस को कई लोग एक वायरस समझ रहे हैं. जो इन्टरनेट के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं वो इसे वायरस भी समझ सकते हैं लेकिन ये उससे भी बढ़कर है. पेगासस एक तरह का Spyware Software है. जिसे इज़राइल की कंपनी NSO ने बनाया है. हालांकि ये कंपनी स्पायवेयर बनाकर भी आधिकारिक तौर पर काम कर रही है लेकिन इस सॉफ्टवेयर की वजह से कई देशों का लोकतन्त्र प्रभावित हो रहा है. निजता के अधिकार का हनन हो रहा है. इतना ही नहीं इस स्पायवेयर के कारण फ्रांस के राष्ट्रपति एमेन्युअल मेक्रोन को अपना स्मार्टफोन तक बदलना पड़ा था. तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये कितनी खतरनाक चीज है.
पेगासस कैसे काम करता है? | How Pegasus Works?
किसी भी स्मार्टफोन में वायरस या किसी मेलवेयर को भेजने के लिए मैसेज और लिंक का सहारा लिया जाता है. इस लिंक पर क्लिक करने के बाद हैकर उस फोन को हैक कर सकते हैं. लेकिन पेगासस इन सभी से एक कदम आगे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक पेगासस बिना लिंक भेजे सिर्फ आपके मोबाइल नंबर के आधार पर आपके स्मार्टफोन को हैक कर सकता है. ये आपके Encrypted massage को पढ़ सकता है. आपके Encrypted Calls को सुन सकता है. आपकी परमिशन के बिना आपके कैमरा और माइक को शुरू कर सकता है और आपकी बातचीत को सुन सकता है.
अब आप समझ सकते हैं कि पेगासस कितना खतरनाक स्पायवेयर है. जो आपके निजता के अधिकार का पूरी तरह हनन करता है. सोचिए कैसा हो अगर कोई सरकार बैठकर देश के कुछ खास लोगों के काल सुन रही है, उनके मैसेज पढ़ रही है. ये फिर किसी पड़ोसी देश की सरकार किसी दूसरे देश के खास लोगों के साथ ऐसा कर रही है. तो दुनिया में कितना खतरनाक मंजर हो सकता है. इन्हीं सभी कारणों के चलते ये पेगासस काफी चर्चा में रहा है. भारत में भी दावे किए जा रहे हैं कि पेगासस से कई लोगों की निगरानी की जा रही है.
पेगासस कौन खरीद सकता है? | How to buy Pegasus?
पेगासस कोई ऐसा सॉफ्टवेयर नहीं है जो आपको आसानी से इन्टरनेट पर कुछ कीमत अदा करने से मिल जाएगा. या फिर कोई एप नहीं है जिसे आप प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं. इसे बनाने वाली कंपनी एनएसओ के मुताबिक इस सॉफ्टवेयर को सिर्फ सरकारों, सरकारी एजेंसियों को ही दिया जाता है. कंपनी के मुताबिक इसका इस्तेमाल करने वालों में 51 प्रतिशत सरकारी खुफिया एजेंसी हैं. और 38 प्रतिशत कानून लागू करवाने वाली एजेंसी हैं. एनएसओ का कहना है कि उन्होने इस सॉफ्टवेयर को आतंकवादियों पर नजर बनाए रखने, आतंकवादी घटनाओं को रोकने के लिए विकसित किया है.
पेगासस की कीमत कितनी है? | Price of Pegausu
इस सॉफ्टवेयर के काम करने के तरीके को देखकर आपको इसकी कीमत जानने की भी इच्छा हो रही होगी. ये सॉफ्टवेयर कितने का है इसकी कीमत का खुलासा इस कंपनी की ओर से नहीं किया गया है. इस सॉफ्टवेयर को कौन खरीदता है और कितने में खरीदता है ये सारी जानकारी को गुप्त रखा जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये एक एडवांस टेक्नोलॉजी सिस्टम है जो काफी महंगा होता है. इनकी कीमत कई लाख डॉलर में हो सकती है. भारतीय रुपयों में देखें तो इसकी कीमत करोड़ों रुपये में या उससे भी ज्यादा हो सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि इसमें कितने लोगों को सर्विलान्स पर डाला जाएगा उस हिसाब से फीस चार्ज की जाती है. वहीं दूसरी ओर इतने एडवांस सिस्टम को चलाने के लिए कंपनी के एजेंट खरीदने वालों को ट्रेनिंग भी देते हैं ताकि वे सही से इसका उपयोग कर सकें. क्योंकि बिना ट्रेनिंग के इसे इस्तेमाल कर पाना काफी ज्यादा मुश्किल काम है. एक आम व्यक्ति तो इस सॉफ्टवेयर को नहीं खरीद सकता और न ही इस्तेमाल कर सकता है. सिर्फ सरकारें ही इसका उपयोग कर सकती हैं.
NSO पर क्या आरोप हैं?
एनएसओ पर कई तरह के आरोप दुनियाभर से लगाए जा रहे हैं. व्हाट्सएप और फेसबुक समेत कई दूसरी कंपनियों ने एनएसओ पर केस किए हैं. पेगासस से जुड़ी जानकारी पहली बार 2016 में सामने आई जब संयुक्त अरब अमीरात के मानवाधिकार कार्यकर्ता अंहमूद मंसूर ने इसका खुलासा किया. उन्होने बताया कि उन्हें कई एसएमएस प्राप्त हुए जो उनके मुताबिक संदिग्ध थे और उनमें गलत मकसद से लिंक भेजी गई थी. उन्होने अपने फोन को टोरंटो यूनिवर्सिटी की सिटीजन लैब में एक्सपर्ट को दिखाया साथ ही कुछ अन्य साइबर एक्सपर्ट ने भी उनके फोन का निरीक्षण किया. उनका संदेश सही निकला. बाद में उनके फोन से इसे हटा दिया गया था.
कई लोग एप्पल को सबसे सिक्योर फोन मानते हैं लेकिन पेगासस ने इसे भी भेद दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पेगासास ने अभी तक अरब शाही परिवार के सदस्य, 64 बिजनेस एग्जीक्यूटिव, 85 मानवाधिकार कार्यकर्ता, 600 से अधिक राजनैतिक और सरकारी अधिकारी, 189 पत्रकार को टारगेट किया है. एमनेस्टी की रिपोर्ट के मुताबिक करीब 50 हजार ऐसे मोबाइल नंबर हैं. जिनमें से कुछ पेगासस के शिकार हुए हैं, कुछ हो सकते हैं और कुछ को भविष्य में टारगेट किया जा सकता है.
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पेगासस कितना खतरनाक सॉफ्टवेयर है इस बात को तो आप समझ गए होंगे. खबरों के मुताबिक कई देशों की सरकार ने इसे खरीदा है लेकिन वे इससे इनकार करते हैं. यदि आपको अपने फोन में ऐसा महसूस होता है कि आपके फोन की बैटरी पहले के मुताबिक कम चल रही है और आपका इन्टरनेट डाटा आप उपयोग नहीं कर रहे हैं तो भी खर्च हो रहा है तो आपको अपना फोन किसी साइबर एक्सपर्ट को जरूर दिखाना चाहिए. क्योंकि यही मुख्य संकेत हैं जिनके जरिये हम ये पता लगा सकते हैं कि कोई हमारे फोन को हैक किए बैठा है और हमारे फोन से हमारी ही निगरानी कर रहा है.