भारत में एक तरफ जहां लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है वही दूसरी तरफ भारत में हेलीकाप्टर मनी (Helicopter Money) की चर्चा शुरू हो गई है. राजनैतिक गलियारों में इसकी मांग की गई है. इसकी चर्चा तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव ने की है. तभी से ये खूब चर्चा में है. ऐसे में ये जानना जरूरी है की हेलीकाप्टर मनी क्या होती है और इसे क्यों लाया जाना चाहिए?
हेलीकाप्टर मनी क्या होती है? What is Helicopter Money?
हेलीकाप्टर मनी का जैसा नाम है वैसा ही काम है. सोचिए आप लॉकडाउन में घरों में बंद है और सरकार हेलीकाप्टर से आपके ऊपर पैसा लूटा रही है जिसे आपको कभी वापस नहीं देना है. हेलीकाप्टर मनी का कान्सैप्ट ठीक ऐसा ही है. कोरोना के प्रकोप के चलते पूरे देश की Economy ठप हो गई है. ऐसे में लॉकडाउन के बाद देश को जरूरत पड़ेगी अर्थव्यवस्था को तेजी से चलाने की. यानि उपभोग बढ़ाने की. जितना ज्यादा उपभोग होगा उतनी ज्यादा अर्थव्यवस्था तेजी से चलेगी.
इन सभी चीजों के बीच Helicopter Money का कान्सैप्ट ये कहता है की देश का केंद्रीय बैंक Central Bank यानि आरबीआई बड़े पैमाने पर नोटों की छपाई करे और इसे सरकार को दें. आरबीआई कभी भी सरकार को पैसे देती है तो उसे वापस भी लेती है लेकिन हेलीकाप्टर मनी वाले कान्सैप्ट में ऐसा नहीं होता. इसके अंतर्गत जो पैसा सरकार को छाप कर दिया जाएगा उसे RBI वापस नहीं लेगी.
हेलीकाप्टर मनी का फायदा Benefit of Helicopter Money
हेलीकाप्टर मनी से अब तक काफी सारे दुष्परिणाम देखे जा चुके हैं लेकिन वर्तमान में जो भारत में इसे लागू करने की मांग उठाई जा रही है उसके पीछे तर्क ये है की कोरोना के लॉकडाउन के बाद देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह डगमगा जाएगी. कई लोगों के पास पैसा नहीं होगा जिससे मार्केट में चीजों की बिक्री नहीं होगी. ऐसे में अगर सरकार लोगों को पैसा बांटती है तो लोग इस पैसे को मार्केट में लेकर आएंगे और अर्थव्यवस्था गति पकड़ेगी. कुल मिलाकर ये मानना है की लोगों के पास खर्च करने के लिए वो पैसा आ जाएगा जो न उन्होने कमाया है और न ही उसे वापस करना है.
हेलीकाप्टर मनी का सिद्धान्त Principle of Helicopter Money
हेलीकाप्टर मनी का सिद्धान्त साल 1969 में अर्थशास्त्री मिल्टन फ़्रीडमैं ने इस तरह समझाया था की ‘केंद्रीय बैंक नोट छापे और सरकार उसे खर्च कर दे’. ये सरकार पर किसी कर्ज की तरह न हो. ये ठीक वैसी कल्पना है जैसे पैसा आसमान से बरस रहा हो.
कई अर्थशास्त्रियों का कहना है की जब आर्थिक संकट चरम सीमा पर हो तब ये आखिरी विकल्प होता है लेकिन आज से पहले जब भी हेलीकाप्टर मनी का सहारा लिया गया है नतीजे भयावह और खराब ही सामने आए हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण Zimbabwe और Venezuela हैं. जहां पहले बेहिसाब नोट छापे गए और बाद में उनकी कीमत कौड़ियों के बराबर भी नहीं रही. वहां महंगाई इतनी बढ़ गई की एक सेब की कीमत खरबों में पहुँच गई. लोग ट्राली और ठेले भर-भर कर नोट लाते और सामान की ख़रीदारी करते थे.
हेलीकाप्टर मनी एक खतरनाक आइडिया है. इसे अपनाने के बाद किसी भी देश कितना आर्थिक संकट झेल सकता है इसके परिणाम जग-जाहिर हैं. इस आइडिया पर अमल करना ही आग से खेलने जैसा है. हेलीकाप्टर मनी को बहुत ही कम देशों ने अपनाया है. उनके देशों की केन्द्रीय बैंक को हमेशा इससे दर लगता है. क्योंकि इसमें बहुत जोखिम है.
इसका सबसे दुखद परिणाम ये होता है की महंगाई आपकी सोच से भी ज्यादा बढ़ जाती है. लोगों के पास बेहिसाब पैसा तो होता है लेकिन उससे भी बेहिसाब बाजार में महंगाई हो जाती है. कोरोना लॉकडाउन के चलते ही खाने-पीने की चीजे काफी महंगी हो गई है जिसका दंश आम आदमी झेल रहा है. हालांकि अर्थशास्त्रियों को कहना है की अगर कुछ ज्यादा महीनों तक कोरोना का प्रकोप बना रहा तो हेलीकाप्टर मनी का सहारा लिया जा सकता है.
भारत में हेलीकाप्टर मनी Helicopter Money in india
भारत में हेलीकाप्टर मनी जैसा सिद्धान्त लागू किया जाता है या नहीं ये आने वाले वक़्त में ही देखने को मिलेगा. लेकिन हेलीकाप्टर मनी के सिद्धान्त को पूरी तरह लागू किया जाए ऐसा जरूरी नहीं है. सरकार अपने हिसाब से इसमें बदलाव करके भी बाजार में उपभोग को बढ़ा सकती है. अर्थशास्त्रियों का मानना है की अगर सरकार टैक्स में भी छूट दे रही है तो उसे भी हेलीकाप्टर मनी का उदाहरण माना जा सकता है क्योंकि इससे लोग ज्यादा खर्च करते हैं और बाजार में उपभोग बदता है.
हेलीकाप्टर मनी के जोखिम भरा कदम तो है ये सभी का मानना है लेकिन किसी भी देश पर आए आर्थिक संकट से निकलने के लिए ये एक आखिरी विकल्प होता है. सरकार इसे पूरी तरह लागू न करके कुछ परिवर्तन के साथ अपने हिसाब से लागू कर सकती है. जैसे भारत में Lockdown की शुरुवात में ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कुछ आर्थिक घोषनाएं की ताकि जनता को राहत हो और इस संकट की स्थिति में वे अपना धैर्य न खोए.
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