दिन ब दिन बढ़ती महंगाई इंसान की कमर तोड़ रही है. कई लोग हैं जिन्हें इस महंगाई से कोई असर नहीं पढ़ता लेकिन मध्यमवर्गीय लोगों को महंगाई काफी प्रभावित करती है. इस महंगाई के दौर में यदि घर में कोई बीमार पड़ जाए या फिर उसे हॉस्पिटल में भर्ती करने की नौबत आ जाए तो उस व्यक्ति के लिए काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि हॉस्पिटल का खर्च और दवाइयों का खर्च काफी ज्यादा आता है. आम इंसान को दवाइयों के खर्च से बचाने के लिए सरकार ने ‘जन औषधि योजना’ शुरू की जिसमें मिलने वाली दवाई को आप सस्ते दामों में खरीद सकते हैं.
जन औषधि योजना केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही एक योजना है जिसे 2015 में शुरू किया था. अब ये सफलतापूर्वक पूरे देश में चल रही है. इस योजना के अंतर्गत आप जन औषधि केंद्र पर जाकर सस्ती दवाइयाँ ले सकते हैं. इन दवाइयों की कीमत बाजार में मिल रही दवाइयों से 20 से 50 प्रतिशत कम होती है. Jan Aushadhi Kendra पर आपको जेनेरिक दवाइयाँ मिलती है जो सस्ते दामों में उपलब्ध होती है.
जेनेरिक दवाइयाँ भी आम दवाइयों की तरह ही होती है और वही काम करती हैं जो बाजार में मिलने वाली दूसरी दवाई करती है. बस फर्क इनकी कंपनी और कीमत का होता है. बाजार में मान लीजिये कोई दवाई 100 रुपये की है तो जेनेरिक दवाइयों की कीमत 70 से 50 रुपये के बीच होती है.
इन दोनों दवाइयों में कोई फर्क नहीं होता. बाजार में मिलने वाली जो महंगी दवाइयाँ होती है उनकी कीमत उन पर किए गए प्रचार-प्रसार के कारण बढ़ जाती है. जिसके कारण ये महंगी मिलती है. वहीं जेनेरिक दवाइयों (Generic medicines) के प्रचार-प्रसार पर कोई खर्च नहीं किया जाता इसलिए ये सस्ती मिलती है. काम दोनों दवाइयाँ एक जैसा ही करती हैं.
जन औषधि योजना का लाभ गरीब-अमीर सभी उठा सकते हैं. इसके लिए ऐसा भी नहीं है की आप इस देश के नागरिक हो. कोई भी नागरिक इन दवाइयों को जन औषधि केंद्र से खरीद सकता है. जन औषधि योजना का सबसी बड़ा लाभ यही है की आपको ये दवाइयाँ सस्ते में मिल जाती है और आप पर इलाज का इतना ज्यादा खर्च नहीं पड़ता. लेकिन याद रखें ये हो सकता है की सभी दवाइयाँ जो आप चाहते हैं वो जन औषधि केंद्र पर न मिले लेकिन जो जरूरत की दवाइयाँ हैं जिन्हें ज्यादा उपयोग किया जाता है वे दवाइयाँ जन औषधि केंद्र पर जरूर मिलती हैं.
जन औषधि केंद्र के संचालन के लिए फार्मास्युटिकल विभाग (Pharmaceutical Department) ने एक स्पेशल विभाग बनाया है जिसे ब्यूरो ऑफ फार्म पीएसयू ऑफ इंडिया यानि बीपीपीआई के नाम से जाना जाता है. ये सभी जन औषधि केंद्र की देखरेख करता है साथ ही जनता को इसके प्रति जागरूक भी करता है तथा समय पर दवाई उपलब्ध करता है. इसके साथ ही इसका काम जन औषधि केंद्र के लिए आए आवेदन का चयन करने का भी होता है. बीपीपीआई पूरे देश में जन औषधि की मार्केटिंग और प्रसार करती है.
बीपीपीआई के निम्न कार्य है:
– जेनेरिक दवाइयों को लेकर जनता के बीच कई तरह के मतभेद हैं. कोई कहता है की जेनेरिक दवाइयों की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती, ये कम असर करती हैं. लोगों की इस तरह की गलतफहमियों को दूर करने का काम बीपीपीआई करती है.
– बीपीपीआई का मुख्य काम देश भर में जन औषधि केंद्र खोलने का है. इसके लिए देशभर से लोग आवेदन करते हैं जिनमें से बीपीपीआई उचित तथा योग्य ऊमीद्वार को चुनकर उसे जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति देती है.
– बीपीपीआई का काम जो जन औषधि केंद्र देश में खुल रहे हैं उनका प्रचार-प्रसार करना भी होता है. साथ ही लोगों को जेनेरिक दवाइयों के बारे में जागरूक करने का भी है.
– जन औषधि केंद्र खोलने के बाद वो सही तरह से संचालित हो रहा है या नहीं, उस पर पर्याप्त दवाइयाँ उपलब्ध हैं या नहीं ये सब देखने का काम भी बीपीपीआई का होता है.
जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आप आवेदन कर सकते हैं और अच्छी कमाई भी कर सकते हैं. जन औषधि केंद्र एक मेडिकल की तरह ही होता है जिसमें आपको दवाइयाँ बेचनी होती है. जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आपको कुछ नियम का पालन भी करना होता है जो निम्न है.
– जन औषधि केंद्र वही व्यक्ति खोल सकता है जिसने B Pharma, या D Pharma की पढ़ाई की हो. इसके अलावा बी फार्मा या डी फार्मा की पढ़ाई करने वाले व्यक्ति किसी चेरिटेबल ट्रस्ट या एनजीओ के लिए भी आवेदन कर सकते हैं.
– औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदक के पास पर्याप्त जगह होनी चाहिए. आवेदक चाहे तो जगह किराए पर भी ले सकता है.
– जन औषधि केंद्र खोलने के लिए 120 स्क्वायर फुट की जगह होनी चाहिए. बीपीपीआई (Bureau of Pharma PSUs of India (BPPI)) इस जगह का विजिट करेगी उसके बाद खोलने की अनुमति देगी.
– आवेदक के पास फार्मासिस्ट का सर्टिफिकेट होना चाहिए.
– आवेदक के पास Retail Drug License एवं टिन नंबर होना चाहिए.
– आवेदक का तरीन साल का Tax File होना चाहिए तथा उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी होनी चाहिए.
जन औषधि केंद्र खोलने के लिए जरूरी दस्तावेज़
जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदक के पास निम्न दस्तावेज़ होना जरूरी है.
– आवेदक का खुद का आधार कार्ड होना चाहिए.
– आवेदक का खुद का पैन कार्ड होना चाहिए. अगर उसके पास नहीं है तो उसे बनवा लेना चाहिए.
– अगर कोई व्यक्ति किसी एनजीओ या संस्थान के लिए जन औषधि केंद्र खोलना चाहता है तो उसके पास संस्थान का पंजीयन प्रमाण पत्र होना जरूरी है.
अगर आपके पास ये सभी दस्तावेज़ हैं और आप जन औषधि केंद्र खोलने के योग्य हैं तो आप ऑनलाइन जन औषधि केंद्र के लिए आवेदन कर सकते हैं. जन औषधि केंद्र के लिए आवेदन करें के लिए आपको जन औषधि केंद्र की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इसके लिए आवेदन करना होगा. आप इस लिंक पर क्लिक करके भी रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. http://janaushadhi.gov.in/online_registration.aspx
कई लोग सोचते हैं की जन औषधि केंद्र खोलने के लिए पैसे देने की जरूरत होती है लेकिन ऐसा नहीं है. आपको जन औषधि केंद्र खोलने के लिए किसी भी तरह का शुल्क देने की कोई जरूरत नहीं है. अगर कोई व्यक्ति बीपीपीआई से जुड़ी किसी भी सेवा के लिए पैसे की मांग करता है तो आप इसकी सूचना बीपीपीआई डिपार्टमेन्ट को दे सकते हैं. बीपीपीआई की ओर से उस व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी.
जन औषधि केंद्र से कमाई की बात की जाए तो सरकार द्वारा शुरू के एक साल तक उस व्यक्ति को एक साल की इन्कम दी जाएगी. इसके अलावा दवाई की बिक्री होने पर उसे 10 प्रतिशत इन्सेंटिव सरकार की तरफ से दिया जाएगा. अगर कोई व्यक्ति किसी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में ये स्टोर खोलता है तो उसे 15 प्रतिशत तक का इन्सेंटिव मिलता है.
जन औषधि केंद्र खोलने के लिए सरकार आपको शुरू में 2 लाख रुपये की मदद तथा Computer और अन्य मशीन लगाने के लिए 50 हजार रुपये की मदद भी देती है. जन औषधि केंद्र के मालिकों के लिए दवाएं उस पर लिखी MRP से 16 प्रतिशत कम दाम पर दी जाती है जिससे केंद्र के मालिक सीधे कमाई कर सकते हैं.
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