आपने देशभक्ति पर आधारित फिल्मे तो देखी ही होगी. इन फिल्मों में आपने देखा होगा की एक देश के राष्ट्रपति दूसरे देश के राष्ट्रपति से एक विशेष फोन पर बात करते हैं जिसे ‘हॉटलाइन’ कहा जाता है. कई लोग सोचते हैं की हॉटलाइन क्या होता है? Hotline का उपयोग कौन करता है? हॉटलाइन का उपयोग कब किया जाता है? क्या भारत में भी हॉटलाइन है?
इस तरह के सवाल हर उस आम इंसान के दिमाग में होते हैं जो हॉटलाइन के बारे में सुनता है. वैसे आप भले ही किसी देश के आम नागरिक हो और आपने हॉटलाइन का उपयोग कभी न किया हो तो भी आपके सामान्य ज्ञान के लिए इस बात को जानना जरूरी है की हॉटलाइन क्या है और ये कैसे काम करती है?
हॉटलाइन के तरह की खास संपर्क सेवा है जिसका उपयोग मुसीबत के समय किया जाता है. इसमें दो टेलीफ़ोन आपस में जुड़े होते हैं जो दो अलग-अलग देशों में होते हैं. जब भी इन दोनों देशों के प्रतिनिधि को आपस में जरूरी बात करना होती है तब ये इसके माध्यम से सीधे एक दूसरे से संपर्क करते हैं. इसमें किसी बीच वाले की जरूरत नहीं रहती है. अक्सर दो देशों के बीच हो रहे युद्ध के दौरान Hotline का सबसे ज्यादा प्रयोग किया गया है.
हॉटलाइन का प्रयोग आम आदमी कभी नहीं करता. आम आदमी बातचीत के लिए अपने फोन का उपयोग करते हैं लेकिन जब बात दो देशों के सर्वोच्च पद पर बैठे लोगों की आती है तो उन्हें बातचीत के लिए कई सारे प्रोटोकॉल फॉलो करने पड़ते हैं. किसी भी देश के राष्ट्रपति या फिर प्रधानमंत्री या फिर उनसे संबन्धित या उनके द्वारा नियुक्त लोग होटलाइन पर बात कर सकते हैं.
हॉटलाइन हमारी फोन की तरह ही होती है. इसमें भी दो फोन होते हैं लेकिन इनके फोन में नंबर नहीं पाए जाते. मतलब आपको इसमें फोन लगाने के लिए नंबर डायल करने की जरूरत नहीं पड़ती है. इसमें बस आपको रिसीवर उठाना है और दूसरी तरफ अपने आप फोन लग जाएगा. आप हॉटलाइन की मदद से सिर्फ एक ही जगह पर फोन लगा सकते हैं जहां पर वो कन्नेक्टेड हैं. अगर आपको दूसरी जगह फोन लगना है तो दूसरे देश की हॉटलाइन पर फोन लगाना पड़ेगा. इसमें एक साथ बस दो फोन ही Connect होते हैं. इससे ज्यादा नहीं. हॉटलाइन सेवा के लिए दोनों देशों की सहमति होना भी जरूरी होता है. अगर दोनों देश बातचीत को सहमत नहीं है तो हॉटलाइन नहीं लगाई जाती है.
हॉटलाइन का उपयोग दो देशो के सर्वोच्च पदों पर बैठे लोग करते हैं. इसका उपयोग आमतौर पर विपत्ति के समय पर किया जाता है. मान लीजिये की दो देश हैं जिनके बीच हॉटलाइन मौजूद है, अब उनके बीच युद्द हो गया तो इसमें दोनों देशों का काफी नुकसान होगा. इनके प्रतिनिधि चाहे तो आपस में बात करके इस युद्ध को रोक सकते हैं. ऐसी स्थितियों से निजात पाने के लिए हॉटलाइन का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा किसी देश पर कोई आपदा आ जाए तो वो हॉटलाइन की मदद से दूसरे देश से मदद की मांग कर सकता है.
अगर बात भारत में हॉटलाइन की करें तो ‘हाँ’ भारत में भी हॉटलाइन है. ये हॉटलाइन पाकिस्तान के साथ है. इसे साल 2004 में USA के सेना अधिकारियों की मदद से शुरू किया गया था. उस समय India और Pakistan के मध्य Nuclear War को लेकर गलतफहमी हो गई थी. तब नई दिल्ली से लेकर इस्लामाबाद के बीच हॉटलाइन सेवा शुरू की गई थी. तब से लेकर आज तक ये हॉटलाइन सेवा चल रही है. कई बार भारत गंभीर स्थितियों में इसका उपयोग करता है.
United States of America, Russia
मॉस्को और वाशिंगटन के मध्य विश्व की सबसे प्रसिद्ध हॉटलाइन सेवा है. इसे रेड टेलीफ़ोन भी कहते हैं. यह हॉटलाइन सेवा 20 जून 1963 को शुरू हुयी थी.
United States of America , United Kingdom
Second World War के मध्य 1943 और 1946 के समय Established यह Service सबसे Safe थी.
Russia, China
मॉस्को और बीजिंग के मध्य 1969 में यह सेवा शुरू हुई लेकिन China ने कालांतर में इस Service से अपने अलग कर लिया. वर्ष 1996 में में पुनः दोनों Countries के Central Hotline Service Start हो गयी.
Russia, France
वर्ष 1966 में France के President Russia गए तो उन्होंने दोनों Countries के मध्य Hotline Service शुरू करने का निश्चय किया और Paris और Moscow के मध्य हॉटलाइन सेवा Start हो गयी.
Russia, United Kingdom
लंदन और मॉस्को के बीच हॉटलाइन सेवा 1992 में शुरू हुयी और 2011 में अपग्रेड हुयी.
United States, China
वर्ष 2008 में सुरक्षा हॉटलाइन शुरू की गयी
China, India
अगस्त 2015 में India और चाइना के Foreign Ministers के Level पर Hotline Service शुरू करने का Agreement बना परन्तु अभी शुरू नहीं हो सकी.
India, Japan
फरवरी 2013 में China और Japan के Hotline Service पर सहमति हुयी. लेकिन आज तक शुरू नहीं हुई है.
North Korea, South Korea
Seoul और Pyongyang के मध्य Red Cross द्वारा संचालित Hotline सेवा 18 अगस्त 1972 को शुरू हुयी. North Korea ने March 11,2013 को Hotline Service बंद कर दी.
United States, India
21 अगस्त 2015 को वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच हॉटलाइन सेवा शुरू हुयी.
हॉटलाइन से दुनिया के कई देश एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. इसे रखने का सीधा सा मतलब है की दो देश जरूरत के समय आपस में बात करके अपने मुद्दों को सुलझा सकें या फिर मदद ले सकें ताकि दोनों देशों के बीच कोई मतभेद न हो.
अगर दोनों के बीच मतभेद होता है तो दोनों देश आर्थिक रूप से तो पिछड़ते ही हैं साथ ही दोनों देशों मे रह रहे लोगों के बीच भी मनमुटाव हो जाता है. इसलिए दोनों देशों के बीच हॉटलाइन के महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि ये दोनों देशों के बीच सम्बन्धों को बनाए रखने में मदद करता है. अब आप समझ गए होंगे की हॉटलाइन हमारे देश के लिए कितने जरूरी होते हैं.
कई लोगों को ये भी लग रहा होगा की आज मोबाइल और इन्टरनेट के जमाने में हम Telephone की हॉटलाइन पर क्यों निर्भर हैं. तो इसका सीधा सा जवाब होता है की फोन को कोई भी हैक करके आपकी बाते सुन सकता है. स्मार्टफोन को इतना सुरक्षित नहीं माना जाता जितना Secure Hotline होती है.
ये दो लोगों के बीच की बात नहीं दो देशों के बीच की बात होती है इसलिए जो बाते हो रही हैं उनका गोपनीय बने रहना जरूरी होता है. इसलिए स्मार्टफोन का उपयोग नहीं किया जाता. सीधे हॉटलाइन पर बात की जाती है. हॉटलाइन एक अच्छा और सुरक्षित साधन है दो देशों के बीच संपर्क करने का.
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