जिन लोगों को हर महीने सैलरी मिलती है और जो इनकम टैक्स के दायरे में आते हैं उन लोगों की सैलरी से हर महीने TDS कटता है. कई लोग इसके बारे में जानते हैं और कई लोग इससे बिलकुल अंजान हैं. वैसे हर व्यक्ति को जानना चाहिए को TDS क्या होता, TDS क्यों काटा जाता है और ज्यादा TDS काटने पर उसे वापस कैसे लिया जाता है?
टीडीएस क्या होता है?
टीडीएस का पूरा नाम है Tax deducted at source. TDS हर उस व्यक्ति का काटा जाता है जो की किसी कंपनी से या किसी संस्थान से सैलरी पाता है और उसकी सालना सैलरी इनकम टैक्स के दायरे में आती है तो उस पर tax काटा जाता है जिसे TDS कहा जाता है.
TDS को आपकी कंपनी हर महीने आपकी सैलरी से काटती है और सरकार के पास जमा करती है. ये सारी ज़िम्मेदारी आपकी कंपनी और आपके employer की होती है. TDS को हम इनकम टैक्स भी कह सकते हैं. क्योंकि ये इनकम टैक्स ही आपसे टीडीएस के रूप में लिया जाता है.
इनकम टैक्स के दायरे में कौन आते हैं?
इनकम टैक्स की तीन श्रेणी है जो आपकी सैलरी और उम्र पर निर्भर करती हैं. अगर आप सामान्य वयस्क नागरिक हैं और आपकी सालना आय 2,50,001 से 5,00,000 के बीच है तो आपको अपनी सालाना आय का 5 प्रतिशत इनकम टैक्स के रूप में देना होगा. इसके अलावा आपकी उम्र 60-80 के बीच है और आपकी सालाना आय 3,00,001 से 5,00,000 के बीच है तो आपको अपनी सालाना आय पर 5 फीसदी इनकम टैक्स देना होगा.
आप सामान्य नागरिक है और आपकी सालना आय 5,00,001 से 10 लाख के बीच है तो आपको अपनी आय का 20 प्रतिशत हिस्सा इनकम टैक्स के रूप में सरकार को देना होगा. वहीं आपकी उम्र 60 साल से 80 साल के बीच है और 5,00,001 से 10 लाख है तो आपको अपनी आय का 20 प्रतिशत हिस्सा सरकार को इनकम टैक्स के रूप में देना होता है.
अगर आप सामान्य व्यक्ति हैं और आपकी सालाना आय 10 लाख से ज्यादा है तो आपको अपनी आय का 30 प्रतिशत हिस्सा इनकम टैक्स के रूप में देना होगा. आपकी उम्र 60-80 साल के बीच है और आपकी सालाना आय 10 लाख से ज्यादा है तो तो आपको अपनी आय का 30 प्रतिशत हिस्सा आयकर के रूप में देना होगा. अगर आपकी उम्र 80 साल से ज्यादा है और आपकी सालना आय 10 लाख से ज्यादा है तो आपको आपकी सालाना आय का 30 प्रतिशत इनकम टैक्स के रूप में देना होगा.
TDS कितना जमा हो रहा है कैसे पता लगाएँ?
आपकी कंपनी हर महीने आपकी सैलरी से टीडीएस काट रहीं है लेकिन क्या वो टीडीएस सरकार को दे रही है या नहीं इस बात की जानकारी आपको कैसे पता लगेगी? दरअसल इसके लिए एक फॉर्म होता है जिसे भरकर आप ये जानकारी पा सकते हैं की आपका टीडीएस सरकार के पास जमा हो रहा है या नहीं. इस फॉर्म का नाम फॉर्म 16 जो आपको आपकी कंपनी की ओर से ही दिया जाता है.
TDS पर छूट का फायदा कैसे उठाएँ?
इनकम टैक्स पर आपको कुछ खास जगह निवेश करने पर टैक्स में छूट मिलती है. TDS में भी आपको इन छूट पर लाभ मिल सकता है. दरअसल जब आप आईटीआर फ़ाइल करते हैं तो आपको टीडीएस रिफ़ंड के लिए भी क्लैम करना होता है॰
TDS Refund claim करते वक़्त आपको ये बताना पड़ता है की आपने सालभर में कहाँ-कहाँ अपना पैसा निवेश किया है. (आपको यहाँ वो पैसा बताना है जो टैक्स छूट के अंतर्गत आता है) जैसे मान लीजिये आपने सेक्शन 80सी के तहत कहीं निवेश कर रखा है तो आप 1.5 लाख रुपये का निवेश कर सकते हैं. अब आपने जो निवेश किया उतने पैसों पर आपको इनकम टैक्स नहीं देना होगा.
इसके अलावा मान लीजिये आपकी सालना आय में से हम टैक्स छूट को काट लेते हैं और उसके बाद आपको जो taxable income निकलती है वो इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो आपको उस पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता हैं. मतलब आपसे जो टैक्स लिया गया है वो आपको वापस मिल जाता है.
सेक्शन 80 सी के तहत कहाँ निवेश कर सकते हैं?
सेक्शन 80 सी के तहत आप कई जगह पर निवेश कर सकते हैं जिनके बारे में आप नीचे पढ़ सकते हैं लेकिन इसमें निवेश करने की एक सीमा है. आप भले ही 80 सी के तहत बहुत सारी जगह पर निवेश करें या फिर एक ही जगह निवेश करें आप सालभर में कुल 1.5 लाख रुपये ही निवेश कर सकते हैं. इससे ज्यादा अगर आप निवेश करते हैं तो उसे सेक्शन 80 सी के तहत टैक्स छूट नहीं मिलेगी.
सेक्शन 80 सी के तहत निम्न जगह अपना पैसा निवेश कर सकते हैं :
– पब्लिक प्रोविडेंट फ़ंड (PPF)
– EPF या VPF (कर्मचारी भविष्य निधि / स्वैच्छिक भविष्य निधि)
– इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS)
– टर्म लाइफ इंश्योरेंस (Term plan)
– यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP)
– पारंपरिक जीवन बीमा/मनी बैक योजना
– पांच साल के बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट
– डाक घर में पांच साल की जमा
– राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (NSC)
– वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS)
– होम लोन के मूलधन पर टैक्स छूट
– दो बच्चों की ट्यूशन फीस पर राहत
– सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)
– बीमा कंपनी की पेंशन योजना (सेक्शन 80CCC)
– राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS)/अटल पेंशन योजना (APY) (सेक्शन 80 CCD)
आपकी सैलरी से हर महीने टीडीएस आपकी कंपनी काट लेती है लेकिन अगर वो कंपनी कटे गए टीडीएस को ड्यू डेट से पहले सरकार के खाते में जमा नहीं करवाती है तो कंपनी को उस पर पेनल्टी देना पड़ती है. इसके अलावा एम्प्लायर को उस अमाउंट की टैक्स में छूट प्राप्त नहीं होगी जिस पर टीडीएस नहीं काटा गया है या टीडीएस काटने के बाद जमा नहीं करवाया गया है.
टीडीएस को हम ये कह सकते हैं की ये हमारी सैलरी पर लगने वाला टैक्स है जो पहले आपकी कंपनी काटती है और फिर कंपनी उस टैक्स को सरकार को दे देती है. इसके बाद जब आप टैक्स रिटर्न फ़ाइल करते है तो आपको वो चीजें या वो निवेश बताने पड़ते हैं जिन पर आपको टैक्स छूट मिलती है इससे आपकी टैक्स देनदारी कम हो जाती है. तो ध्यान रखें अगर आपका टीडीएस कट रहा है तो उन जगहों पर निवेश करना शुरू कर दें जहां से आपको टैक्स पर छूट मिल सकती है. इससे आपकी वर्तमान टैक्स देनदारी कम हो जाएगी.
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