सैलरी अकाउंट ऐसा अकाउंट है जिसे नौकरीपेशा लोग ही खुलवा सकते हैं.
सैलरी अकाउंट ऐसा अकाउंट है जिसे नौकरीपेशा लोग ही खुलवा सकते हैं.
सैलरी अकाउंट आप अपनी मर्जी से नहीं खुलवा सकते. इसके लिए आप जिस संस्थान में कार्य कर रहे हैं उनकी अनुमति होना बेहद जरूरी है.
सैलरी अकाउंट आप अपनी मर्जी से नहीं खुलवा सकते. इसके लिए आप जिस संस्थान में कार्य कर रहे हैं उनकी अनुमति होना बेहद जरूरी है.
अगर आप किसी कंपनी में काम नहीं कर रहे हैं तो आपका कोई सैलरी अकाउंट नहीं खुल सकता.
अगर आप किसी कंपनी में काम नहीं कर रहे हैं तो आपका कोई सैलरी अकाउंट नहीं खुल सकता.
सैलरी अकाउंट को उसी बैंक के साथ खुलवाया जा सकता है जिसके साथ आपकी कंपनी का टाय - अप हो.
सैलरी अकाउंट को उसी बैंक के साथ खुलवाया जा सकता है जिसके साथ आपकी कंपनी का टाय - अप हो.
कंपनी जब अपनी अनुमति देती है तभी आप सैलरी अकाउंट खुलवा सकते हैं.
कंपनी जब अपनी अनुमति देती है तभी आप सैलरी अकाउंट खुलवा सकते हैं.
आपकी सैलरी आपके अकाउंट में तुरंत ट्रांसफर हो जाती है. सैलरी पाने के लिए आपको चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं.
आपकी सैलरी आपके अकाउंट में तुरंत ट्रांसफर हो जाती है. सैलरी पाने के लिए आपको चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं.
सैलरी अकाउंट खुलवाने के लिए आपको किसी तरह का कोई पैसा नहीं देना पड़ता है
सैलरी अकाउंट खुलवाने के लिए आपको किसी तरह का कोई पैसा नहीं देना पड़ता है
सैलरी अकाउंट खुलवाने के साथ ही आपको फ्री पासबुक, एटीएम कार्ड और चेक बुक मिलती है.
सैलरी अकाउंट खुलवाने के साथ ही आपको फ्री पासबुक, एटीएम कार्ड और चेक बुक मिलती है.
सैलरी अकाउंट में यदि आप पैसा जमा करके रखते हैं तो आपको उस पैसे पर सेविंग अकाउंट की तरह ही ब्याज भी मिलता है.
सैलरी अकाउंट में यदि आप पैसा जमा करके रखते हैं तो आपको उस पैसे पर सेविंग अकाउंट की तरह ही ब्याज भी मिलता है.
नौकरी छोड़ने के बाद बैंक 3 महीने के भीतर आपके सैलरी अकाउंट को सेविंग अकाउंट में बदल देती है.
नौकरी छोड़ने के बाद बैंक 3 महीने के भीतर आपके सैलरी अकाउंट को सेविंग अकाउंट में बदल देती है.